पैसा ही प्यार हैं , इसके बिना सब कंगाल ! इस युग में जनाब , फैला यही मायाजाल ! पूण्य यही पाप यही , इस युग का नाश यही ! हर घर घर जा बैठा , वो घोर कलयुग महान यही !
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