बादलों में काली घटा छाने लगी , बाहों में सनम हमे तरसाने लगी ! जो गिरे बुँदे तन पे आज , उन बूंदों से नशा सा छाने लगी ! वो भीगकर यूँ इठलाने लगी , हमको हमीसे चुराने लगी ! देख के उनका गदराया बदन , ये बरसात भी उनपे मरने लगी !
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