Saturday 8 August 2015

किसी ने न ये जाना के मरकर अपना क्या होगा

किसी ने न ये जाना ,
के मरकर अपना क्या होगा !
मिट्टी की शरीर हैं ये ,
मिट्टी में ही मिलना होगा !

फिर किस बात का एब हैं ,
एक अच्छा नेक इंसान बनो !
आज सितारा चमका हैं ,
कल फिर घोर अँधियारा हैं !

ये जीवन ये मृत्यू ,
कभी न हैं अपने हाथ !
फिर भी कुछ पाखण्डी ,
खुद को मानते हैं भगवान !

कहा कहा खोजते हैं ,
ईश्वर को धरती पर इंसान !
मन की आँखों से देखो तो ,
हर रोम रोम में बसे भगवान !

ये अल्लाह ये भगवान ,
इनको किसने हैं देखा !
जो इंसा इंसान के काम आए ,
वही हैं सच्चा भगवान !

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