Saturday 28 January 2017

ना कोई संगी साथी हैं

ना कोई संगी साथी हैं ,

ना कोई अपना जीवन साथी ,

झुठों की बाज़ार हैं दुनिया ,

और हम उसके बाराती....!

जो सारे अरमान थे बुझ गए ,

सूरज मेरा डूब गया रात भी हैं घबराई .

मौसम हैं कुछ डरा डरा हवा भी कुछ बहेकी ,

तेरा नाम सुनते हीं आँख मेरी भर गई...!