एक तेरे बिन कौन यहाँ पूरा हैं
माँ तेरे बिन सब अधूरा हैं
सुनी धरती सुना आसमाँ
सुना ये घर संसार हमारा हैं 
चेहरे पर मुस्कान और पीछे आँसू छुपाना तेरा
खुद भूखे रहकर मुझे खिलाना तेरा
चोट लगने पर वो मरहम लगाना तेरा
मस्ती करने पर वो मारना तेरा
याद आती हैं तेरी हर बाते
कहाँ गुजरती हैं बिन तेरे रातें
माँ तुझसा कोई नहीं
कोई तो ये रब को बता दे
अब नहीं होती सुबह वैसी
न होती रात वैसी
न होता हैं चूल्हा वैसा
न होती हैं रसोई में महक वैसी
कौन जागता अब मुझको
थक कर यूँही सो जाता हुँ
दर्द से कराहता हैं बदन मेरा
पर न जाने क्यों सुबह ठीक हो जाता हुँ
माँ तु सच मुच जादूगर हैं
तु नहीं हैं फिर भी यहीं कहीं हैं
यादों में बाते में दर्द में धूप में
जहां जहां रखता हुँ कदम माँ तु वहीं हैं