Monday 31 August 2015

अब कोई नही हमराही मैं और बस मेरी परछाई

अब कोई नही हमराही ,

मैं और बस मेरी परछाई !

दूर दूर तक यादों का सागर ,

और साथ बस परछाई !

कुछ दूर साथ वो चले तो थे ,

हाँथो में लेकर हाँथ बढ़े तो थे !

वख्त बदला तो वो भी बदली ,

साथ बची मेरे परछाई !

एक यादों का बादल हैं ,

उसमे भी तू हरजाई हैं !

और कोई नही साथ मेरे ,

साथ मेरे परछाई हैं !

जो कभी अपने थे ,

वही आज सपने है !

साथ और कोई नही ,

बस मैं और मेरी परछाई हैं !

अकेले अकेले रहेकर तुम क्या पाओगी

अकेले अकेले रहेकर ,

तुम क्या पाओगी !

मुझसे दूर तो चले जाओगी ,

पर इस मन से कहा जाओगी !

डर इसका नही के तुम ,

मेरा साथ छोड़ जाओगी !

बस जाते जाते इस दिल में ,

कुछ यादें छोड़ जाओगी !

जिस्म से रूह का बंधन एक दिन टूट जाना हैं

जिस्म से रूह का बंधन ,

एक दिन टूट जाना हैं !

साँसों से तन का बंधन ,

एक दिन छुटना हैं !

मौत का डर से कोई ना वास्ता ,

इसे लेकर जाना ही हैं !

कोई रिश्ता काम न आएगा ,

सारा यही धरा रहे जाएगा !

मौत के आगोश में जब तू जाएगा ,

फिर कभी न तू लौट कर आएगा !

इस बार जो सो गया ,

इस जहाँ में तू खो गया !

फूल जो डाली पर खिल गया

फूल जो डाली पर खिल गया ,

उसे यू न मसलकर तोड़िए !

प्यार का पैगाम हैं ये ,

बस प्यार से तुम खेलिए !

प्यार तेरा ये चंद पलो का

प्यार तेरा ये चंद पलो का ,

जग छुटा तो साथ भी छुटा !

प्यार करो तो उस परमात्मा से ,

साथ जुड़ा तो जनम जनम का !

जिस्म सवारा तो क्या सवारा

जिस्म सवारा तो क्या सवारा ,

रूह को सवारो तो जानु !

रूह तेरा प्यार रूह तेरा भगवान ,

रूह तेरा सात जन्मों का साथी !

ज़मी पर रहेकर आसमान की चाहत ना कर

ज़मी पर रहेकर ,

आसमान की चाहत ना कर !

उड़ना हैं गगन तो ,

ज़मी को भूल जाया ना कर !

खुशियों के तलाश में ,

अपना वख्त जाया ना कर !

ठोकरों पर चलना सिख लो ,

खुशियों की तलाश ना कर !

हमारे लिए जो जमाने से लड़ गए

हमारे लिए जो जमाने से लड़ गए ,

वख्त बदला तो उनके ख्यालात बदल गए !

हम तो अब भी उसी राह खड़े हैं ,

उनकी नजर हमपर पड़ी तो वो राह बदल गए !

मृत्यु और मोक्ष में बस दो ही अंतर

मृत्यु और मोक्ष में बस दो ही अंतर ,

हैं ये बस तेरे सोच का अंतर !

साँसे खत्म इच्छा बाकी तो मृत्यु ,

साँसे बाकी इच्छा ख़त्म तो मोक्ष !

तेरे प्यार का ख़ुमार कुछ यू छाने लगा

तेरे प्यार का ख़ुमार कुछ यू छाने लगा ,

तेरे हुस्न का नशा अब मुझपर छाने लगा !

यू पास बुलाकर अब दूर न जा ,

तेरी बाहों में अब मुझे मज़ा आने लगा  !

Sunday 30 August 2015

जिस तन्हाई में तेरी याद नही , वो तन्हाई किस काम की !

जिस तन्हाई में तेरी याद नही ,

वो तन्हाई किस काम की !

जिस दर बिगड़े रिश्ते न बन पाए ,

वो दर किस काम की !

जो दौलत अपनों के काम न आए ,

वो दौलत किस काम की !

जिस उचाई से अपने ना दिखे ,

वो उचाई किस काम की !

एक ही मंजिल के राह कई

एक ही मंजिल के राह कई ,

इस छोटी सी उम्र में फ़िक्र कई !

पर कही हार कर तू बैठ न जाना ,

इस दुःख के पार खुशियाँ कई !

राह नई चाह नई हर सफर में चुनोती नई

राह नई चाह नई ,

हर सफर में चुनोती नई !

कुछ टेढ़े मेढ़े कुछ सीधे सादे ,

एक ही मंजिल के रास्ते कई !

सफर आपका पसंद आपका ,

हर रास्ते पर पसंद कई !

पर हर बदलते मोड़ पर ,

कही उनको भूल न जाना !

जो बैठे हैं तेरे इंतजार में ,

कही उनको रुला न जाना !

सफर लम्बा और मंजिल दूर ही सही

सफर लम्बा और मंजिल दूर ही सही ,

सच्चाई के दर से रास्ता दूर ही सही !

यूँही चलते चले चलो पा लोगे मंजिल ,

चाहें रास्ते में आए लाख तूफा ही सही !

Saturday 29 August 2015

घाव मेरे दिल के जब भरने लगेंगे

घाव मेरे दिल के जब भरने लगेंगे ,

आँसू भी मरहम लगने लगेंगे !

मत पूछो किस किसने दिल पे वार किया ,

वरना अपने ही हमसे रुठने लगेंगे !

सावन की घटा जो छाने लगी

सावन की घटा जो छाने लगी ,

वो मचलकर और पास आने लगी ,

बारिश में भीगकर वो यू इठलाने लगी ,

इठलाकर हमें तरसाने लगी ,

जो तन पे गिरी बूँदे तो वो ,

ख़ुद को भुलाकर हममें समाने लगी !

जिससे रिश्ता नही कोई उसे भी बहेन कहे दो

जिससे रिश्ता नही कोई ,

उसे भी बहेन कहे दो !

उसकी रक्षा का तुम ,

बस आज प्रण करलो !

तुमसे मांगे वो मदत ,

उससे पहले खुद मदत कर दो !

पवित्र रिश्ते को कोई नाम न दो ,

हर दिन तुम रक्षा बंधन समझलो !

Friday 28 August 2015

लूट रही बहनों की इज्ज़त तुम सब आज उसे बचाओ

रिश्तों के बंधन में बंध जाओ ,
एक प्यारी सी मुस्कान लाओ !
लूट रही बहनों की इज्ज़त ,
तुम सब आज उसे बचाओ !

जो न आज बचाया इस रिश्ते को ,
तो कल तुम माँ भी कहा से पाओगे !
बेटी का ये रूप हैं सारा ,
फिर नई दुनिया कहा से बसओगे !

इस राम के नगरी में और कितना पाप फैलाओगे ,
न रहेगी बेटी तो वंश कहा से बढ़ाओगे !
अपनी इस करतूत पर कुछ तो ख़ौफ़ खाओ ,
इस मिटती दुनिया को तुम आज बचाओ !

बस ज़्यादा नही ख़्वाहिश मुझको

बस ज़्यादा नही ख़्वाहिश मुझको ,
अपना पता बस बताती जा !
हम लुट गए है तेरे प्यार में ,
मेरे दिल में घर तु बसाती जा !

Thursday 27 August 2015

सफर कर राही के राह अभी बाकि हैं

सफर कर राही के राह अभी बाकि हैं ,
तेरे सफर का अंजाम अभी बाकि हैं !

चलता चल सफर में तेरा इम्तहान अभी बाकि हैं ,
तेरे हिस्से का दर्द वो आखरी चुभन अभी बाकि हैं !

वो सफर वो राह वो अंजाम अभी बाकि हैं ,
उतारना हैं जो वो दूध का कर्ज अभी बाकि हैं !

मत कर मंजिल का इंतजार के तेरा सफर अभी बाकि हैं ,
तेरे पाव के छालो का करना हिसाब अभी बाकि हैं !

अभी तो तेरे जिंदगी के ख्वाब अभी बाकि हैं ,
तेरे हिस्से का वो आखरी चराग अभी बाकि हैं !

मेरे लफ़्ज की जो तुझे पहेचान हो जाती , शायद तुझे तुझी से मोहब्बत हो जाती !

हर लफ़्ज मेरा अपना तजुर्बा हैं ,
यूँही कोई पहेचान नही बन जाती !

मेरे भी गीत को संगीत मिल जाता ,
तू जो मेरे गीत की पहेचान बन जाती !

मुझको जो तु नज़र भरकर देख लेती ,
तुझे मेरे प्यार की पहेचान हो जाती !

मेरे लफ़्ज की जो तुझे पहेचान हो जाती ,
शायद तुझे तुझी से मोहब्बत हो जाती !

कभी वख्त मिले तो मुझे पढ़ लेना ,
शायद तुझे तेरी पहेचान हो जाती !


ठुमक ठुमक कर चलती हो


ठुमक ठुमक कर चलती हो ,

नागिन सी बलखाती हो !

इस कमसिन उम्र में ,

पूरी कयामत ढाती हो !

जब तिर्छी नयनो से देखती हो ,

एक कटार सी दिल पर चलाती हो !

इन नैनो के वार से ,

हमको मार गिराती हो !

अभी तो सोलहवा साल है ,

लगती तू बेमिसाल है !

हर अदा तेरी जालिम ,

सब को करती बेहाल है !

इन्हीं अदाओं पे मैं मरता हू ,

हा मैं तुझी से प्यार करता हू !

हम सच्चे सपूत हिंदुस्तान के

हर सिमा पर छाए हैं ,

हर आसमान में उड़ आए हैं !

दुश्मन भी देखकर पानी पानी हो जाता ,

हम वो शुर वीर हिंदुस्तान के !

हम सपनो पर नही अपनों पर जान लुटाते हैं ,

हम सच्चे आशिक हिंदुस्तान के !

किसमे हैं दम जो सामने खड़ा हो ,

हम सच्चे सपूत हिंदुस्तान के !

Wednesday 26 August 2015

ये ईद वाला दिन आया हैं

ये चाँद को देखकर आज ,
हर चेहरे पर नूर नजर आया हैं !
सबको प्रेम का पाठ पढ़ाने ,
ये ईद वाला दिन आया हैं !

रात के आँचल में गम छुपा हैं

रात के आँचल में गम छुपा है ,
आँसू बहाने का समय मिला हैं !
दिन की रौशनी में मेरी हँसी पर न जा ,
मेरे हँसी में मेरे रोने का दर्द छुपा हैं !

प्रारम्भ हैं प्रारम्भ यही तेरा प्रारम्भ

जिसे सोचते हैं अंत नही ये अंत ,
प्रारम्भ हैं प्रारम्भ यही तेरा प्रारम्भ !
फिर नया चोला नया दुनिया का मेला होगा ,
फिर दुनिया के भीड़ में खड़ा तू अकेला होगा !

जाम पर जाम हो जाए , चलो ये शाम उनके नाम हो जाए !

जाम पर जाम हो जाए ,
चलो ये शाम उनके नाम हो जाए !

आज कुछ इस तरह जाम हो जाए ,
पिनेवालों को आज होश आ जाए ,
हर बूंद में है इतना नशा के फिर ,
महफ़िल को आज जोश आ जाए ,

जाम पर जाम हो जाए....

हर प्यासे को जाम मिल जाए ,
हर प्यार को नाम मिल जाए ,
इतना पियो के हर लबो पर ,
दिलबर का नाम आ जाए ,

जाम पर जाम हो जाए....

हर पिने वालों को जाम नजर आया ,
हर बहकते दिल को पैगाम नजर आया ,
हर पिने वाले से तुम पूछो ,
पिने के बाद मजा आया ,

जाम पर जाम हो जाए....

हर बून्द बून्द में इसके अमृत ,
ये हर टूटे दिल का सहारा ,
जितना भी पियो तूम ,
उतना ही आता हैं मजा ,

जाम पर जाम हो जाए....

हर किसी में आज फिर तेरा चेहरा नजर आया ,
भरी महफ़िल में आज फिर तेरा खुमार नजर आया ,
तरसे थे जो लब प्यार का जाम पिने को ,
उन लबो पर आज फिर वही जाम आया ,

जाम पर जाम हो जाए....

ममता की छाव में पल रही एक परियों की रानी

तारो को छाव में ,
पल रही एक ख़ुशी !
धरती की गोद में ,
पल रही हैं एक हसी !
नन्ही सी हैं परी सी हैं ,
वो हैं एक कहानी !
पाप की लाड़ली ,
खुशियों की प्याली !
परी कहूँ या जलपरी ,
या कहूँ सपनों की रानी !
ममता की छाव में ,
पल रही एक परियों की रानी !

फिर एक कहानी लिख जाएंगे

फिर एक कहानी लिख जाएंगे ,
सब के लबों पे नाम कर जाएंगे !
याद करेगी दुनियाँ मेरे न रहने के बाद ,
हम कुछ ऐसा काम कर जाएंगे !

हर मुश्किलो से लड़ते जाएंगे ,
हर लोगों में जोश भर जाएंगे !
हर दिल याद करे मुझको ,
हम कुछ ऐसा काम कर जाएंगे !

हर पत्थर को फूल बनाते जाएंगे ,
हर काँटों का सेज सजाते जाएंगे !
मुश्किलों से भी लड़ते जाएंगे ,
हम कुछ ऐसा काम कर जाएंगे !

हर दिलो पर राज् कर जाएंगे ,
इस दुनिया में नाम कर जाएंगे !
याद करेंगे सब मुझको ,
हम कुछ ऐसा काम कर जाएंगे !

Tuesday 25 August 2015

दूर गगन की छाव में

दूर गगन की छाव में ,
एक ख्वाबो का आसमान हो !
तारो सा चमकता ज़मी ,
लहरों सा आसमान हो !
हर डगर महकें कस्तूरी सा ,
हवाओं में पलता प्यार हो !
हर दिल में प्यार का फूल खिले ,
नफरत से भरा ये जहाँ ना हो !
यूँही हँसते खेलते बीते जिंदगानी ,
खुशियों से भरा सारा जहान हो !

Monday 24 August 2015

शोर था जो वो कल चले थे शान से , झुकगए है आज वो शेर की दहाड़ से

शोर था जो वो कल चले थे शान से ,
झुकगए है आज वो शेर की दहाड़ से !

हसरतों के पुल बाँध के चले थे जो ,
मिट गए है आज वो शेर की दहाड़ से !

ख़्वाब जो आँखो में लेकर चले थे वो ,
ख्वाब सारे टूट गए शेर की दहाड़ से !

रूख जो हवा का मोड़ने चले थे वो ,
अरमान सारे बहे गए शेर की दहाड़ से !

इस देश को वो लूटने चले थे जो ,
ख़ुद ही वो लुट गए शेर की दहाड़ से !


शूरवीर और तिरंगा

रग रग में खून नही दौड़ता था तिरंगा
उन शुर वीरो की महान गाथा तिरंगा

न देखा आगे पीछे देखा बस तिरंगा
कूदे वो मैदा में बचाने बस तिरंगा

गोलियों से छन्नी था सीना पर देख तिरंगा
डटे रहे मैदा में पर मिटने न दिया तिरंगा

हर मुश्किलों से लड़कर बचाया तिरंगा
खुद मिट गए पर झुकने न दिया तिरंगा

कुछ अलग ही लोग थे वो जज्बा था उनका तिरंगा
वो तो जन्मे थे बनकर बस तिरंगा

जालसाज हसीना

पहेले दोस्ती का हाथ बढाती ,
फिर ये जाल बिछाती !
कर के चन्द दोस्ती की बाते ,
फिर ये हमे फसाती !
चन्द मीठे लफ़्ज बनाकर ,
ये दोस्त हमे बनाकर !
फिर चुपके से ये ,
अपना हाथ छोड़ जाती !
है ये बहोत ही शातिर ,
पहेले तुमको अपने साथ मिलाती !
फिर थोडा सा प्यार जताकर ,
हसता खेलता घर तोड़ जाती !
बच के रहना तुम मेरे दोस्तों ,
ये उल्लू सरे आम बनाती !
अपनी इज्जत दोस्तों में लुटाकर ,
घरपर सती सावित्री बन जाती !

शायरी नही तुम पूरी गजल हों


शायरी नही तुम पूरी गजल हों ,

किचड़ में खिली एक कमल हों !

लफ्ज़ो पर बैठी हुवी नज्म हों ,

जिंदगी में प्यार की लहर हों !

कड़ी धुप में ठंडी छाव हों ,

तुम ही गजल में सावन की घटा है !

तेरी ही जुल्फों से होती हैं धुप छाव ,

इस संगीत की तुम ही सरगम हों !

झरने की कल कल आवाज हों ,

वो लहरो की सुरीली तान हों !

वो पत्तो की सर सराहट हो ,

तुम्ही मेरी गजल तुम्ही शायरी हों !

Sunday 23 August 2015

धूर्तबाज

दिल में खोट जेबो में नोट है ,
चेहरे पे मुस्कान मुख पे लाली हैं !
लगते हैं चाल ढाल से नवाब ,
पर अक्ल से हैं वो पुरे शैतान !
चेहरे पे चेहरा और नकाब ,
पड़े जो पीछे हो वो सदा बर्बाद !
मिलते हैं वो जो भीड़ में अपने बनकर ,
अक्सर वही हमे लूट जाते हैं !

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने
देख के तेरी चाल को ,
इन नैनन के जाल को ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

अभी तो बाली उमर हैं तेरी ,
फिर भी छाया यूँ शबाब हैं ,
होतो तुम गुड़िया सी पर ,
लगती पूरी तुम माल हो ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

थोडा सम्भल सम्भल कर चलना ,
आज के इस समाज में ,
कोई फूलों का रस चूस न ले ,
कमसिन चौदहवे ही साल में ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

गिरते बूंदों की शबनम हो ,
एक मचलती शाम हो ,
तेरी खुशबु से छा जाता है नशा ,
तुम तो पूरी बेमिशाल हैं ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

मन मचल जाता हैं मेरा ,
तेरी प्यारी सी मुस्कान पर ,
आना ना अभी पास तू ,
के दिल अभी बेकरार हैं ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

कहि हम बहक न जाए ,
तेरी जुल्फों की छाव में ,
अभी थोडा खामोश ही रहना ,
ठंड में गर्मी का एहसास हो ,

हम हुवे दिवाने तेरे हम हुवे दिवाने !

बन कर तारा आसमान में

बन कर तारा आसमान में टिम टिमाउँगा  ,
कभी न कभी जुगनू सा चमक ही जाऊंगा !

उम्मीदों की डोर पकड़कर उड़ता जाऊंगा ,
हर मुश्किलो को आसान बनाता जाऊंगा !

कोई लाख गिरादे मैं फिर भी खड़ा हो जाऊंगा ,
हौसलो का पंख लगाकर फिर छा जाऊंगा !

बनाकर एक नई राह उसपर चलता जाऊंगा ,
अपनों के उम्मीदों पर खरा उतरता जाऊंगा !

हर दुश्मनी को दोस्ती में बदलता जाऊंगा ,
एक नई प्यार की कहानी लिखता जाऊंगा !

जो भी मिले उसे अपना बनाता जाऊंगा ,
हर राह में एक दिप जलाता जाऊंगा !

जो भी मिले उसे कागज पर उतारता जाऊंगा ,
बनाकर उसे गजल आपको सुनाता जाऊंगा !

रिश्तों का मोल

अब जाना रिश्तों का मोल ,
रिश्ते तो हैं बड़े अनमोल !
जिस मंजिल के पीछे थे ,
वो अपनी मंजिल ही नही दोस्त !

मंजिल तो तेरे पास ही हैं ,
फिर भी कभी न जाना !
लाख मिन्नते करलो एक दिन ,
उसी दर हैं सब को जाना !

फिर क्यों जात पात पे लड़ते हो ,
क्यों अपनों को बम से उड़ाते हो !
जिस पैसे के खातिर सब करते हो ,
उसे अंत में यहीँ छोड़ जाते हो !

प्यार मोहब्बत से अपना ,
सारा जीवन बिताना !
मंजिल तो सबकी आखरी ,
श्मशान भूमि या कब्रिस्तान हैं जाना !

मईया का नवरात्र हैं

मईया का नवरात्र हैं ,
पावन ये तेव्हार हैं ,
सच्चे दिल से जो भी मांगे ,
नईया उसीकी पार हैं ,

मईया का नवरात्र हैं........ !

मईया का दरबार हैं ,
भक्तो का भरमार हैं ,
माँ की ममता जिसपर बरसे ,
ख़ुशी उसीका परिवार हैं ,

मईया का नवरात्र हैं........ !

हर दिल में एक आस हैं ,
मुरादों की सौगात हैं ,
सर झुकाए जो भी आए ,
उसीका सुखी संसार हैं ,

मईया का नवरात्र हैं........ !

मईया की महिमा बड़ी निराली ,
बिन मांगे हम सब पा जाते ,
जो आया इनके शरण में ,
उसीको मिलता प्यार हैं ,

मईया का नवरात्र हैं........ !

न धन चाहिए न दौलत चाहिए ,
मईया को बस प्यार चाहिए ,
सच्चे मन से जो भी पूजे ,
उसीका होता कल्याण हैं ,

मईया का नवरात्र हैं........ !

भूखे को रोटी खिला दे ,
गिरते को जो उठा दे ,
मईया के आशीर्वाद से ,
होता उसीका उद्धार हैं ,

मईया का नवरात्र हैं........ !


याराना

भवरो को फूल पसंद ,
प्यार को दिलदार !
बगिये को माली पसंद ,
धरती को किसान !
पानी को बहेना पसंद ,
पंछी को खुला आसमान !
नइया को खेवइया पसंद ,
कश्ती को किनारा !
राही को मंजिल पसंद ,
भटके को राह !
रात को चाँद पसंद ,
हुस्न को रवानगी !
मयखाने को शराब पसंद ,
शराबी को मयखाना !
यारो को यार पसंद ,
मुझको आपका याराना !

हुस्न की मलिक

दिन के उजालों में खो जाती हो ,
रात को तुम निखर जाती हो !
मदहोशी का यु आलम हैं ,
देखते ही मुझको खिल जाती हो !

हुस्न की तुम मलिका हो ,
रातों की तुम रानी !
औरो को जो बहका दे ,
तुम हो वो मस्त शबाब !

उफ़ ये तेरा चमकता बदन ,
तुम रातों में चांदनी रात !
तुमसे ही हैं रौशन यहा ,
तुम ही सूरज तुम ही चाँद !

तेरी मैं क्या तारीफ करू ,
तू निखरता हुवा शबाब !
बिन पिए ही चढ़ जाए ,
तुम हो वो शराब !

बहरूपिया

ये दुनिया बड़ी निराली ,
सच्चे झूठे यहाँ सारे लोग ,
न करे यूँ ही भरोसा ,
फरेबी यहा सारे लोग ,
हर मोड़ पर हैं खड़ा ,
कोई बहरूपिया ,
अपनों के बिच में ,
छुपा बहरूपिया ,
भेष यही देश यही ,
रग रग में उनके खून यही
बस उनके नापाक इरादे ,
थोड़ा बचकर रहना सब लोग !

आँसू

उनके आँसू दिख जाते हैं ,
दिखते नही हमारे आँसू !
भरी महफ़िल में वो रो देते हैं ,
हम सुखा देते हैं आँसू !
बस यही फर्क हैं हम दोनों में ,
इस दुनिया के मेले में !
वो गिर जाते हैं कहि भी ,
हम गिरते नही कहि भी !

कर्म और भाईचारा

    ये जीवन हैं एक प्यारा फूल ,
   अपने राहों के काँटों को भूल !
  चलते चले चलो कर्मो के पथ पर ,
     अपने सारे ग़मो को भूल !

    यहां राह हैं तेरी काँटों भरी ,
       नही इसमें कोई फूल !
    अपने सारे ज़ख्मो को भूल ,
    काँटों पे तू चलना न भूल !

  ये जीवन नही कोई गुड्डो का खेल ,
      सभी जगह रेलम पे रेल !
थोडा सम्भल सम्भल कर रखना पैर ,
   कहि भटका तो हो जाएगा ढेर !

      सारा जग हैं ये मोह माया ,
  एक ही जड़ो का ये खेल सारा !
     बस अलग अलग हैं डाली ,
   पर जुड़ा एक ही पेड़ो से सारा !

       इसलिए कहेता हू भाई ,
     जात पात के लफ़ड़े छोड़ो !
         हम तुम हैं भाई भाई ,
    सभी धर्मो से तुम नाता जोड़ो ,

कब से खड़ा मैं तेरी राहों में

कब से खड़ा मैं तेरी राहों में ,
तेरी एक झलक पाने को !
अब तो आजा सनम ,
हैं ये जिंदगानी बीत जाने को !
कब तक और सहु मैं ,
तुझसे बिछड़ने का गम !
लौट आ फिर इन्हीं राहों पर ,
कही बीत न जाए ये जीवन !

Saturday 22 August 2015

जिंदगी और मौत में आराम कहा हैं

रात से न पूछो के अभी चाँद कहा हैं ,
इन साँसों से न पूछो के मौत कहा हैं !
पूछना हैं तो श्मशान से पुछलो ,
जिंदगी और मौत में आराम कहा हैं !

कफ़न सा वफादार कहा हैं ,
मौत सा दिलदार कहा हैं !
पूछना हैं तो कफ़न से पुछलो ,
इन मुर्दो को आराम कहा हैं !

वो रिश्ते वो नाते वो प्यार कहा हैं ,
वो सुख दुःख वो चैन कहा हैं !
मौत के नींद में सोने वाले से पुछलो ,
जिंदगी और मौत में आराम कहा हैं !

जो कमाए थे पैसे वो पैसा कहा हैं ,
जिंदगी के राह के वो राजदार कहा हैं !
इन कफ़न में लिपटे मुर्दे से पुछलो ,
जिंदगी और मौत में तुझे आराम कहा हैं !

दो दिलों के तकरार में

दो दिलों के तकरार में ,
बस इकरार ही अच्छा !
ये दिल मचलजाए ,
इतना ही फासला अच्छा !
हमे तड़पाने के लिए ,
एक तेरी मुस्कान ही अच्छी !
रोम रोम में नशा भरने ,
वो तेरी निग़ाह ही अच्छी !
इस प्यार और तकरार की रात में ,
हम दोनों अनजान ही अच्छे !