Monday 17 August 2015

सफर आज़ादी का

मुश्किल था सफर आज़ादी का ,
पर आजाद थे वो दिवाने ,
राह थी उनकी काँटों भरी ,
पर लोग थे वो दिवाने ,
उनकी वीरगाथा हैं ये ,
गाता हैं ये सब हिंदुस्तानी ,
हर गली गली गूँज रही ,
उन वीरो की कहानी ,
पर चन्द गद्दारो ने ,
इस देश को आज बेचा है ,
अपने ही माँ के आँचल को ,
उन्होंने आज लूटा हैं ,
आज फिर हमे एक होकर ,
ढूंढना हैं उन गद्दारो को ,
जोे करते इस देश से गद्दारीे ,
मिटा दे उनकी हस्ती को ,
न मिटने दे इस तिरंगे को !

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