Monday 17 August 2015

बस आप के खातिर

तारे नही आकाश में ये ,
मैंने अपना दिल बिछाया है !
बस आपके खातिर ही मैंने ,
ये चाँद फ़रमाया है !

लाखो में बस एक तेरा ही चेहरा ,
हर सूरत में नजर आता है !
बस आप के एक झलक के खातिर ,
ये रोज सूरज निकल आता है !

आपकी एक झलक के खातिर ,
ये आसमान के तारे टीम टीमाते है !
ये तो बस आप ही की खातिर ,
रोज आसमान में निकल आते है !

ये माथे की बिंदिया नही सनम ,
ये तूने अपना दिल बिछाया है !
अपने आशिक की खातिर ,
ये तूने प्रेम जाल बिछाया है !

जिधर देखूँ उधर तू ही तू नजर आती है ,
मुझे ख्वाबो में आकर बहोत सताती है !
कभी तो ख्वाबो के दुनिया से बाहर आ ,
आपके ही लिए दुनिया में ये फूल खिलाया है !

तेरे हर राह में अपना प्यार बिछाया है ,
तेरे हर आँशु को मैंने होठो पर सजाया है !
फिर चन्द लफ्जो को मिलाकर मैंने ,
तेरे ही लिए सनम ए नगमा सजाया है !

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