Monday 17 August 2015

बापू आपको फिर पुकार रही इस देश की माटी

फिर आन पड़ी जरूरत बापू की भारत में ,
आपस में भेद भाव बहोत बढ़ रहा इस भारत में !

प्रेम का पाठ पढ़ाया भारत वाशियों को ,
छूत अछूत का भेद मिटाया था भारत से !

जो सरल भाषा सब को समझ में आए ,
वही हिन्दी को राष्ट्र् भाषा बनाया भारत में !

गरीबो को साहूकारों के चुंगल से छुड़ाया ,
दलितों को भारत में उच्चतम स्थान दिलाया !

अपने सरल स्वभाव से पूरा देश हिलाया ,
फिर भारत से अंग्रेजो को भगाया !

पर आज फिर एक बार आपकी जरूरत आन पड़ी ,
इस भारत में बापू आज बड़ी विपदा आन पड़ी !

आपके सिखाए पाठ का न जाने अब क्या हो गया ,
इंसान ही आज यहा हैवान हो गया !

हर तरफ फैला घूसखोरी चोरी बैमानी ,
नेता क्या पूरा देश का सिस्टम है बिगड़ा !

चारो तरफ आज पश्चिम की सभ्यता बिखर रही ,
इस देश की नर नारी आज अपनी सभ्यता बेच रही !

जहा कल माँ बाप को प्यार करना सिखलाया था ,
वही समाज आज बूढो को दुत्कार रहा !

छाया है हर तरफ आज झूठ का अँधेरा ,
फिर से जन्म लेकर सच का पाठ सिखाने आओ !

देखो आज जहा तहा हो रहा पतन ,
अपनी ही सभ्यता पर हँस रहा वतन !

जब से हम आजाद हुए सच में तब से हम गुलाम हुवे ,
आजादी के साथ साथ उन्नती भी समाप्त हुई !

आज फिर आप ही आशा की किरण हो बापू ,
इस भारत की शान फिर आकर बचालो बापू !

टूटी है आज फिर इस देश की बैसाखी ,
बापू आपको फिर पुकार रही इस देश की माटी !

No comments:

Post a Comment