Thursday 29 October 2015

आज ही एक ट्वीट पर , किसी से मुलाकात हो गई ! न होनी थी जो बात , आज वही बात हो गई !

आज ही एक ट्वीट पर ,
किसी से मुलाकात हो गई !
न होनी थी जो बात ,
आज वही बात हो गई !

न सावन आया न बादल गरजे ,
फिर कैसे ये बात हो गई !
आज किसी से ट्वीट पर ,
प्यार की बात हो गई !

जाना सुना था मगर देखा न था ,
देखते ही देखते ये बात हो गई !
आज ट्वीटर पर अपनी भी ,
किसी हसनी से मुलाक़ात हो गई !

कुछ बात ऐसी चली ,
के बाते उनसे दिन रात हो गई !
बातों ही बातों में आज ,
वो दिल के करीब आ गई !

अब तक था जिससे अंजान मैं ,
आज वही हमराज़ हो गई !
अब तक था बे पनाह मैं ,
आज किसी के दिल में पनाह हो गई !

न मैंने दिल की बात कही ,
फिर कैसे उसने दिल की बात सुनली !
अंजान सफ़र अंजान डगर में ,
आज किसी से दिल की बात हो गई !

आज ट्वीटर पर अपनी भी , किसी हसीन से मुलाकात हो गई !

आज किसी से दिल की बात हो गई ,
लगता हैं जैसे प्यार की बरसात हो गई !
न सावन आया न बादल गरजे ,
फिर कैसे ये बात हो गई !

जाना सुना था मगर देखा न था ,
देखते ही देखते ये बात हो गई !
आज ट्वीटर पर अपनी भी ,
किसी हसनी से मुलाक़ात हो गई !

कुछ बात ऐसी चली ,
के बाते उनसे दिन रात हो गई !
बातों ही बातों में आज ,
वो अपने करीब आ गई !

अब तक था जिससे अंजान मैं ,
आज वही हमराज़ हो गई !
अब तक था बे पनाह मैं ,
आज किसी के दिल में पनाह हो गई !

न मैंने दिल की बात कही ,
फिर कैसे उसने दिल की बात सुनली !
अंजान सफ़र अंजान डगर में ,
आज किसी से दिल की बात हो गई !

Tuesday 27 October 2015

माँ बहेन और इज्जत

  आज लूटी जो इज़्ज़त बहेनों कीं ,

  तो कल राखी क़िस्से बँधाओ गे !

   माँ कि ममता वो माँ की गोद ,

   कल फिर तुम कहाँ पाओगे !

      समय की इस धार में ,

  तुम फँसते ही चले जाओगे !

  आज खोया बहूँ बेटी तुमने ,

कल माँ को भी न ढूँढ पाओगे !

     हैवानियत का खेल यें ,

    कब तक खेल पाओगे !

    नहीं रहेंगी माँ बेटी तो ,

फिर जन्म कहा से पाओगे !

  इसीलिए कहेता हूँ भाई ,

    अब भी रुक जाओं !

   इस मिटती दुनियाँ को ,

     तुम आज बचाओ !

प्यार और रूसवाइयां

हसरत भरी निगाह से ,
हमें यूँ ना देखा करों !
ज़माना जान जाएगा ,
यूँ इशारे ना किया करों !

यूँ पास बुलाकर ,
क़लई न मरोड़ा करों !
रूसवाइयों का डर हैं ,
यूँ बाँहों में ना लिया करों !

अभी तो बाली उमर हैं मेरी ,
यूँ हमसे ना खेला करों !
प्यार के इस फूल को ,
अभी बगिया में ही महेकने दो !

समाज के ठेकेदार

समाज के ठेकेदारों ने ,
क्या ख़ूब रंग दिखलाया है !
ग़रीबों को लूटकर ,
ख़ुद का जेब भरवाया है !

वहा एक निवाला खाने को नहीं ,
पल पल मर रहा इंसान हैं !
यहाँ भरी पड़ी तिजोरी गोदाम सारे ,
पर देने की नियत नहीं हैं !

बेशर्मियत का ये नंघा नाच ,
सरे आम खेला जाता हैं !
अपना रक्षक ही आज ,
भक्षक बनकर बैठा हैं !

देते हैं एक हाथ से ,
लेते हैं ये दो हाथ से !
बच के रहना भाई ,
समाज के ठेकेदार से !

Wednesday 21 October 2015

चंद खुशिया आई हैं नहीं ये विजय तेरा

चंद खुशिया आई हैं नहीं ये विजय तेरा ,

  फुक फुक रखना अभी क़दम यहाँ !

     हर राह काँटे ही काँटे हैं बिछे ,

   अभी मंजिल बहोत दूर हैं तेरा !

इस पावन पर्व की बेला में

इस पावन पर्व की बेला में ,
हम शीश झुकाते हैं !
रखना सभी की सलामत ,
मैया हम यहीं फ़रियाद फ़रमाते हैं !

रखना सबका आबाद जहाँ ,
यहीं दिन रात हम दुआ करते हैं !
दिन रात हम तो बस ,
मैया तेरा ही गुणगान करते हैं !

हर पहेर मैया आप ही का जाप करते हैं ,
आप ही के दर पर हम तो बसर करते हैं !
नहीं हमें अब ख़ुद की ख़बर हैं ,
हर पल तेरे ही रूप का दीदार करते हैं !

हर पल निंदो में भी आप ही का ख़्वाब हैं ,
इस दुनियाँ के भीड़ में आप ही का साथ हैं !
हर राहों के काँटों को तूने फूल बनाया ,
बस मैया मेरे सर यूँही सदा तेरा हाथ रहे !

ये रात बीतने वाली हैं , नई सुबह आने वाली हैं !

ये रात बीतने वाली हैं ,

नई सुबह आने वाली हैं !

उठ खड़ा होजा तनकर फिर ,

तेरी किस्मत चमकने वाली हैं !

भुलकर गीले शिकवे को ,

फिर नई राह तलाशनी होगी !

ये अंत नही जिंदगी का तेरे ,

फिर एक नई उमंग जगानी होगी !

लड़खड़ाते क़दमो को ,

आज सहारा मिल जाएगा !

हर राह में एक वफादार मिल जाएगा ,

इतना बेदर्द नही ये जमाना !

इस अँधियारे में तुझे भी ,

एक दीपक प्यार का जला मिल जाएगा !

Friday 16 October 2015

हम उनसे वो हमसे दूर हो गए

हम उनसे वो हमसे दूर हो गए ,

वख्त के आगे हम कितने मजबूर हो गए !

किया सितम हर पल उन्होंने हमपर ,

फिर भी वो बेकसूर हम बेवफ़ा हो गए !

फिर होगा सवेरा जिंदगी में , उस खुदा पर थोडा एतबार करलो !

आँसुवो में जिंदगी बिताने वालो ,

किस्मत पर एतबार करलो !

फिर होगा सवेरा जिंदगी में ,

उस खुदा पर थोडा एतबार करलो !

Wednesday 7 October 2015

दिल में आन पड़े हो , अब नैनं में आने दो !

दिल में आन पड़े हो ,

अब नैनं में आने दो !

मेरा प्यार तो सच्चा हैं ,

अपने धड़कन में सामने दो !

न छेड़ो अभी मोहे पिया ,

अभी प्रियतम रहेने दो !

अभी तो बाली उमर हैं मेरी ,

अभी तो पवित्र रहेने दो !

न करो यू जल्दी पिया ,

अभी शादी तो होने दो !

हम तो हैं तोरी दासी ,

मिलन की बेला आने दो !

अभी तो हैं हम कच्चे फूल ,

हमे थोड़ा खिलने तो दो !

अभी न फूल बनाओ पिया ,

अभी कली ही रहेने दो !

जो आया हैं वो जाएगा जानेवाले को कोई रोक नही पाएगा लाख कोशिश करले पंछी पिंजरे से उड़ ही जाएगा

भेद हुस्न का खुल जाएगा

भरम इश्क का टूट जाएगा

जब चलेगी जुल्म की हवा

हर पत्थर दिल पिघल जाएगा

हर सपना टूट जाएगा

हर अरमान धरा रहे जाएगा

इस वख्त की मार से

राजा भी रंक बन जाएगा

जो आया हैं वो जाएगा

जानेवाले को कोई रोक नही पाएगा

लाख कोशिश करले

पंछी पिंजरे से उड़ ही जाएगा

एक दिल हूँ गायक का , मुझे भी एक सूर चाहिए !

एक दिल हूँ गायक का ,
मुझे भी एक सूर चाहिए !
हर दिल जो गा सके ,
बस वही नग़मा चाहिए !

इस सुरीली तान का ,
मुझे भी हसीन शाम चाहिए !
हर एक लब जो गुन गुना सके ,
मुझे वो संगीत चाहिए !

एक सफर हूँ गजल का ,
मुझे भी अंजाम चाहिए !
एक कविता हूँ प्यार का ,
मुझे भी कोई पढ़ने वाला चाहिए !

हर शायर को एक दाद चाहिए ,
हर ग़ज़ल को एक नजर !
हम भी नग़मा लेकर आए हैं ,
हमे भी सुर ताल चाहिए !

न दर्द चाहिए न ख़ुशी चाहिए ,
न गम चाहिए न प्यार चाहिए !
एक शायर हूँ मैं तो ,
मुझे भी एक कलम चाहिए !

हर नजर को एक नजर चाहिए , हर दिल को एक धड़कन चाहिए !

हर नजर को एक नजर चाहिए ,
हर दिल को एक धड़कन चाहिए !
हम भी दिल लेकर आए हैं ,
हमे भी एक दिलदार चाहिए !

हर रूह को एक जिस्म चाहिए ,
हर पारखी को एक निगाह चाहिए !
हम भी नजर लेकर आए हैं ,
हमे भी एक निगाह चाहिए !

हर प्यार को एक प्यार चाहिए ,
हर हुस्न को एक निखार चाहिए !
हम भी अरमान लेकर आए हैं ,
हमे भी प्यार भरी निखार चाहिए !

अपना तो टुटा सारा दोस्ताना , रिश्तों को अब तमाशा देखने की मोहलत मिल गई होगी !

अपना तो टुटा सारा दोस्ताना ,
रिश्तों को अब तमाशा देखने की मोहलत मिल गई होगी !
एक लिखना ही कुसूर हैं तो शायद रिश्तों ,
अब तेरे भी लिखने पर तोहमत लग गई होगी !

मेरे कलम में जो मेरे दोस्तों की तस्वीर नजर आती थी ,
शायद रिश्तों वो तुझे अब नजर नही आती होगी !
टुटा अपना ये दोस्ताना सारा ,
उन रिश्तों को अब चैन की नींद मिल गई होगी !

रिश्तों की डोर को हम निभाते चले गए ,
दोस्तों की नजर में हम गिरते चले गए !
कौन सा था वो रिश्ता ये हमको भी न पता चला ,
शायद इसलिए वो रिश्ते हमपर ही हँसते चले गए !

मेरे लिखने से फेसबुक पर जो रिश्ते बिगड़ चले थे , शायद अब उन रिश्तों को ख़ुशी मिल गई होगी !

मेरे लिखने से फेसबुक पर जो रिश्ते बिगड़ चले थे ,

शायद अब उन रिश्तों को ख़ुशी मिल गई होगी !

हम तो लॉगआउट हो गए फेसबुक से ,

उन रिश्तों को अब चैन की नींद मिल गई होगी !

इस दिल में अब कोई आस नही , तू आए या न आए कोई बात नही ! अब तो साथी हैं तन्हाई और अँधियारा , बस और किसी के साथ की अब आस नही !

एक अजनबी सा वो चेहरा ,
हर पल दिलों दिमाग पे छा जाता हैं !
किस और जाऊँ मैं आज ,
हर जगह वही चेहरा नजर आता हैं !

कल जो निकला तेरी गली से ,
अब तक मैं अपनी मंजिल ढूढ़ता हु !
किसी को क्या मिला इस जहां में ,
मैं तो अपनी परछाई ढूंढ़ता हु !

हर गली मुहल्ले से जब गुजरता हु ,
राहों में काँटे सदा पाता हु !
मिली नही मुझे अब तक मंजिल ,
हर राह में मैं तुझे ढूंढता हु !

हर डगर हैं शोलों सा ,
फूलों सा ये ख्वाब सारा !
गम बन गया हैं आज साथी ,
काँटों भरा हैं ये जिवन सारा !

इस दिल में अब कोई आस नही ,
तू आए या न आए कोई बात नही !
अब तो साथी हैं तन्हाई और अँधियारा ,
बस और किसी के साथ की अब आस नही !

बहेका हैं मौसम बहेका हैं मन बहेकी ये सारी फिज़ाएँ ऐसे मौसम में कहीं तुम न आजाना

बहेका हैं मौसम बहेका हैं मन
बहेकी ये सारी फिज़ाएँ
ऐसे मौसम में कहीं तुम न आजाना

ए रात मदहोश तुमको बुला रही हैं
ये चाँद सितारे तेरे झलक को तरस रहे हैं
हम तो बहेक चुके हैं
कही तुम न बहक जाना

बहेका हैं मौसम....

ए मौसम तुम हमे यू न बहेकाओ
बहेकाकर उनको यूँ न बुलाओ
न आना तुम सनम यहा पर
कही हम तुम बहेक न जाए

बहेका हैं मौसम....

अभी तो सम्भल चुके हैं
उस पल का क्या भरोसा
देखो वो फूल खिल रहे हैं
कही तुम भी खिल न जाना
थोड़ी देर जरा ठहर जाओ
अभी मौसम हैं दिवाना

बहेका हैं मौसम....

ये रात ढल रही हैं
वो सूरज निकल रहा हैं
जाते हुवे लम्हे
तुमको ही ढूंढ ते हैं
डर हैं कही तुम न आजाओ
बहेका हैं ए दिवाना

बहेका हैं मौसम....

आज कहे रहा हू
फिर न ये कहूँगा
कब तलक खुद को
यू रोके रहूँगा
आजाओ अब तो जिवन में
तुझसे ही मेरा आशियाना

बहेका हैं मौसम....

Tuesday 6 October 2015

दूर होकर भी पास हैं हम , थोड़े खुश थोड़े नाराज हैं हम !

दूर होकर भी पास हैं हम ,

थोड़े खुश थोड़े नाराज हैं हम !

अलग अलग हैं जिस्म हमारा ,

पर दो जिस्म एक जान हैं हम !

मुझको ये पता नही कौन हैं हम ,

तुमसे कितनी दूर कहा हैं हम !

बस मेरी मंजिल हैं तू ,

और तेरे तलबगार हैं हम !

मुझको खुद की खबर नही ,

तेरे प्यार में बस बेहाल हैं हम !

कही भी जाऊ तुझे पुकारू ,

तेरे प्यार में बेकरार हैं हम !

मेरा मुकद्दर भी तुम हो , मेरा जाने बहार भी तुम हो !

मेरा मुकद्दर भी तुम हो ,

मेरा जाने बहार भी तुम हो !

मेरी इस जिंदगी का ,

मेरा हमराज भी तुम हो !

कैसे मैं तुझको भूल जाऊँ ,

इस दिल की धड़कन तुम हो !

तुम्हीं ज़मी तुम्हीं आसमान ,

तुम्हीं मेरे सरताज़ हो !

मेरे इस अँधियारे जीवन का ,

बस तुम ही उजियारा हो !

तुम्हीं हमनवां तुम्हीं सनम ,

मेरे हर सवाल का तुम्हीं जवाब हो !

सुना हैं तेरी हुस्न गजल बन गई हैं , उन गजलों की मैं अब महफ़िल ढूंढता हूँ !

तेरी चाहत में मैं हुआ दिवाना ,
अब उस चाहत की वफ़ा ढूंढता हूँ !

तेरी बाँहों में हमने जो लम्हें गुजारे ,
उन लम्हों में तेरा वजूद ढूंढता हूँ !

तेरे होंठो का रस वो मस्त ,
बदन की खुशबू मैं अब तक ढूंढता हूँ !

तेरे संग बिताए जो रातें हमने ,
मैं अब तक रातो को तेरा निशा ढूंढता हूँ !

सुना हैं तेरी हुस्न गजल बन गई हैं ,
उन गजलों की मैं अब महफ़िल ढूंढता हूँ !

सारे जहान में सबसे आगे , हिंदुस्तान का नाम हो जाए !

      सारे जहान में सबसे आगे ,

     हिंदुस्तान का नाम हो जाए !

        हम रक्खे कदम जहा ,

       वो अपने नाम हो जाए !

     हिन्दू मुस्लिम सब भाई भाई ,

   मुझमे तू तुझमे मैं नज़र आ जाए !

   तुम मनाओ गणेश चतुर्थी नवरात्री ,

      और हम ईद मोहर्रम मनाए !

    बस मेरी यही छोटी सी हैं आरजू ,

हेर फेर का ये फंडा सरे आम हो जाए !

       हर मुस्लिम बने भगतसिंह ,

हर हिन्दू आज अब्दुल कलाम बन जाए !

तू मिला तो मैं खिल गई

तू मिला तो मैं खिल गई ,

तेरे प्यार में मैं सवर गई !

बेरंग सी थी ये जिंदगी ,

तेरे आने से मैं रंगीन हुई !

थी रात इस जिंदगी में ,

तेरे आने से सुबह हुई !

मुझको न खबर थी मेरी ,

तेरे आने से खुद की खबर हुई !

तेरी पनाह में अब रहेना हैं ,

तेरी बाँहों में सुबह से शाम हुई !

तुझसे ही हैं मेरी अब जिंदगी ,

बिन तेरे इस जिंदगी की रात हुई !

हमको मेरे हम ने लूटा कहा उनकी इतनी औक़ात हो गई

भरते थे जो दम दोस्ती का ,

आज सामने उनकी औक़ात आ गई !

मेरी इस तन्हाई में ,

तू और तेरी मुस्कान याद आ गई !

न सावन आया न बदली छाई ,

फिर ये कैसे बात हो गई !

बिन बोले इस मौसम में ,

आँसू वो की बरसात हो गई !

कोई पत्ता साबुत बचा नहीं शाखाओं में ,

कुछ यूँ उनकी हमसे बात हो गई !

हमको मेरे हम ने लूटा ,

कहा उनकी इतनी औक़ात हो गई !

नदी नाले मिलने को तरसते हैं ,

कहा इतनी आज बरसात हो गई !

मैं तो ख़ुद डूबा अपने ही आँसू वो में ,

कहा समुन्दर की इतनी औक़ात हो गई !

Sunday 4 October 2015

अदाएं तो इस दुनिया में लाखों हैं पर , जो अदा तुझमें हैं वो और किसी में नहीं !

अदाएं तो इस दुनिया में लाखों हैं पर ,
जो अदा तुझमें हैं वो और किसी में नहीं !

जीता हूँ तेरी मुस्कान देखकर ,
तेरी ये मुस्कान किसी और में नहीं !

जो देख ले एक बार नज़र भर के तुझे ,
फिर उसे किसी और को देखने की ज़रूरत नहीं !

कोयल सी आवाज़ हैं हिरणी सी चाल तेरी ,
जो तुझमें बात हैं वो किसी और में बात नहीं !

मुझसे तुम तुमसे मैं अन्नजान सही ,
पर मेरी क़लम से तू अन्नजान तो नहीं !

तेरी हर अदा पर मैं आज एक गजल लिख दूँ

तेरी हर अदा पर मैं आज एक गजल लिख दूँ ,
तू बन जाए गीत मेरा आ तेरे नाम एक संगीत लिख दूँ !

तेरी मुस्कुराहट को देखे सब जमाना ,
आ मैं उन मुस्कुराहट में छुपे तेरे अँसुवो पर कुछ लिख दूँ !

तेरे हुस्न पे सब मरते हैं तुझपर कोई न मरता ,
आ मैं तेरी उन बेबसी पर लिख दूँ !

तुम हो एक नाज़ुक फूल कली की ,
आ तेरे नाम मैं अपनी ज़िंदगानी लिख दूँ !

मिले कहा कब ये फुर्सत के लम्हें ,
आ तेरे नाम एक सुकुन भरी जिंदगी मैं लिख दूँ !