Tuesday 27 October 2015

माँ बहेन और इज्जत

  आज लूटी जो इज़्ज़त बहेनों कीं ,

  तो कल राखी क़िस्से बँधाओ गे !

   माँ कि ममता वो माँ की गोद ,

   कल फिर तुम कहाँ पाओगे !

      समय की इस धार में ,

  तुम फँसते ही चले जाओगे !

  आज खोया बहूँ बेटी तुमने ,

कल माँ को भी न ढूँढ पाओगे !

     हैवानियत का खेल यें ,

    कब तक खेल पाओगे !

    नहीं रहेंगी माँ बेटी तो ,

फिर जन्म कहा से पाओगे !

  इसीलिए कहेता हूँ भाई ,

    अब भी रुक जाओं !

   इस मिटती दुनियाँ को ,

     तुम आज बचाओ !

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