Thursday 31 December 2015

ये उनका नया साल मनाऊँ कैसे

अपने देश को जों लूटकर चलें गए ,

उनका ही त्योहार मैं मनाऊँ कैसे !

जिस वृक्ष में कोई गुण नहीं हों ,

उसको मैं सजाऊँ कैसे !

जब उसने ना मनाई राम नवमी ,

तुलसी पूजा और नवरात्रि !

तो मैं अब उनके लिए ,

ये उनका नया साल मनाऊँ कैसे !

भारत की पहेचान

हर सुबह जहाँ मतवाली हैं ,
हर जगह जहाँ हरियाली हैं !
हर रोज़ जहाँ नए तराने ,
दुःख सुख के सब साथी हैं !

हैं नदियों का संगम यहाँ ,
गंगा जमुना सरस्वती यहाँ !
इतना देश के मिट्टी से प्यार हैं के 
यहाँ धरती भी माँ कहेलाती हैं !

सुंदरता की शान यहाँ ,
धरती के भगवान यहाँ !
धरती भी यहाँ पूजी जाती हैं ,
हर कण कण में हैं भगवान यहाँ !

हर दिल में बसता प्यार यहाँ ,
ममता की बरसात यहाँ !
मुश्किल अपनो पे आन पड़े तो ,
सब मर मिटने को तैयार यहाँ !

जहाँ संस्कारों की बात हैं ,
जहाँ भाई भाई में प्यार हैं !
जहाँ बेटी भी पूजी जाती हैं ,
यहीं मेरे भारत की पहेचान हैं !

Wednesday 30 December 2015

सफ़र नए साल का

बढ़ चले हैं हम नए साल में नए सफ़र में नए डगर में ,
फिर आएँगी नई फ़िज़ाएँ नई कुछ राहें इस नए साल में !

जैसा भी था बड़ा सुहाना था सफ़र इस साल का ,
पर अब के साल सबका सफ़र सुहाना होगा !

हर रोज़ आसमान में चमकते हैं सूरज और तारे ,
पर इस साल कुछ ऐसा हों तुम चमकों आसमान में बनकर सितारे। !

आओ क़सम खाए बहेनो की लाज बचाए इस साल ,
बड़े बुज़ुर्गों व मात पिता की सेवा करें इस साल !

तभी ये नया साल सबका सफल होगा ,
जब अपनो के लिए अपनो के दिल में प्यार होगा !

मेरे सनम का क्या कहेना

जो भी देखे तेरे हुस्न को ,
वो हों जाए बस तेरा !
मेरे इस दिलो दिमाग़ में ,
बस तेरा ही डेरा !
जितनी पास आती हों ,
उतनी ही प्यास जगाती हों !
इस ठंड के मौसम में ,
तुम गर्मि दे जाती हों !
जितनी तुम हसीन हों ,
उतनी ही तुम उस्ताद !
पलकें झुकाकर तुमने ,
किया इस दिल पे वार !

Tuesday 29 December 2015

अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति

अंग्रेज़ी की ऐसी हवा चली की सब अपनी भाषा भूल गए ,
औरों का नव वर्ष याद रहा ख़ुद का नव वर्ष भूल गए !

हर तरफ़ लोंग ऐसे नव वर्ष में आज खों गए ,
अपनी ही असभ्यता पर हम दीवाने हो गए !

अंग्रेज़ चले गए पर अंग्रेज़ी सभ्यता छोड़ गए ,
और हम ग़ुलामों की तरह उनकी सभ्यता अपना गए !

उनकी वेशभूषा उनकी बोली में हम यूँ खो गए ,
उन्होंने अपनाई साड़ी और हम ख़ुद नंघे हों गए !

आज हम ख़ुद की नज़रों में न जाने कितना गिर गए ,
फ़ैशन के आडंबर में हम अपने गाँव को ही भूल गए !

चलो छोड़ो फ़ैशन की दुनिया चलते हैं फिर उस गाँव की ओर ,
अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता अपने देश की मिट्टी की ओर !

Monday 28 December 2015

साथ फ़ेस्बुक और दोस्तों का

दिल को छुवा तो उनकी याद आइ ,
पलकें बंद करूँ तो तस्वीर नज़र आइ !
आँखे खोल के जब फ़ेस्बुक देखा तो ,
तुम दोस्तों की बड़ी याद आइ !

बीत रहा ये साल कुछ तू तू मैं मैं में ,
ये सोचकर मैंने चाय को मुँह से लगाकर !
जब एक घुट लगाई तो ,
फ़ेस्बुक के सारे दोस्तों की याद आइ !

बीच में थोड़ा मैं कहीं भटक गया था ,
मैं तुम दोस्तों से दूर चला गया था !
पर जब दोस्त मुकेश ने आवाज़ लगाई ,
सच बोलूँ तो तब मुझे फिर होश आया !

मुकेश मेहता बोलो या किरण कीर्ति बोलो ,
पवन बोलो या सोनम प्रसाद बोलो !
जब जब ख़ुद को अकेला पाया तो ,
सारे दोस्तों की टोली मेरे साथ नज़र आइ !

आ रहा फिर नया साल

तेरे इंतज़ार में बीत रहा यें साल ,
अब तो आजा आ रहा फिर नया साल !

बीतें लमहों के साथ बीत रहा ये साल ,
फिर जीवन में आजाओ आ रहा फिर नया साल !

तड़प तड़प कर गुज़रा बिन तेरे ये मेरा सारा साल ,
अब तो आजा मेरे आँगन में बुला रहा ये नया साल !

कुछ ग़लतियाँ की जो हमने इस साल ,
आओ क़सम खायें न करेंगे वो ग़लतियाँ फिर नए साल !

सारे गिले शिकवे भूलकर आजाओ साथ हैं ये नया साल ,
फिर न बिछड़ेंगे हम कभी आओ क़सम खाए इस नए साल !

Sunday 27 December 2015

बेवफ़ा हुस्न

बन ठन कर नख़रे दिखाकर ,

फेंकती हैं ये पहेले सब पर जाल !

बचकर रहना तुम हसीनों से ,

आज का यहीं हैं ताज़ा समाचार !

मंज़िल उनकी अच्छी बॉडी अच्छी कमाई ,

सूरत की तो बात हीं नहीं !

मरती हैं बस वहीं जिसके पास हों ,

बियमडब्ल्यू मर्सीडिज फ़ोर्चुन गाड़ी !

जहा देखा खिसे में माल ,

उसी पर होता हैं इन्हें प्यार !

वफ़ादारी अब हैं कहाँ ,

मैंने देखा हैं काइयों को औरों के साथ !

शरम इनमे अब कुछ बची नहीं ,

साथ तुम्हारे होती हैं पर दिल होता हैं कहीं और !

मैंने कल तेरी वालीं के आँखो में देखा था ,

वो मुझसे भी करती हैं प्यार !

कल तु भी मिट्टी में मिल जाएगा

वक़्त की मार से न कोई बचपाया हैं न कोई बच पाएगा ,
न समझ ख़ुद को खुदा ए बंदे कल तु भी मिट्टी में मिल जाएगा !

न कोई प्यार न कोई रिश्ता काम आएगा ,
जब उसका बुलावा आएगा तु दौड़ा चला जाएगा !

समय की धार से कोई न निकल पाएगा ,
जो आया हैं वो जाएगा जो जाएगा वहीं फिर आएगा !

यहीं हैं स्वर्ग यहीं हैं नर्क ये तु जब जान जाएगा ,
हँसते रहेना हीं जीवन का सार हैं तब तु भी ये मान जाएगा !

हर देश अपना हर वतन अपना

काश हम भी पक्षी होते ,
सामने होता खुला आसमान !
उड़ता जाता मैं चाहे जहाँ ,
हर देश अपना हर वतन अपना होता !

न होता सीमा रेखा का बँधन ,
हर दिल में अपना एक आशियाना होता !
हर कोई अपना सा लगता ,
हर देश से अपना भाई चारा रहता !

न कोई अपना मज़हब होता ,
न कोई अपना दुश्मन !
जिस डाल पर चाहता बैठ जाता ,
हर डाल से अपना प्यारा नाता होता !

न कोई तेरा या मेरा का नारा होता ,
हर वतन से अपना प्यार होता !
जब चाहे जहाँ चलें जाता ,
हर वतन से अपना ख़ून का नाता होता !

आज इंसा हीं इंसा में भेद भाव बड़े ,
अपनो ने हीं अपनो पर हैं वार किए !
बस चंद पैसों के ख़ातिर इन ग़द्दारो ने ,
वतन वतन में हैं बँटवारे किए !

Saturday 26 December 2015

ये अरमान आख़री हैं

पीने दे मुझे ये जाम आख़री हैं ,
बहेकने दे आज मुझे ये अरमान आख़री हैं !

होंठों पर ये आज मुस्कान आख़री हैं 
चुभने दे पैरों में काँटे ये अरमान आख़री हैं !

मेरे प्यार का ये अंजाम आख़री हैं ,
तु करती जा हमपर ज़ुल्म यें अरमान आख़री हैं !

तेरे सितम की ये रात आख़री हैं ,
बहने दो आँखों से सैलाब ये अरमान आख़री हैं !

मत रोकों मुझे मेरी ये मंज़िल आख़री हैं ,
पहेना दो तुम मुझे कफ़न ये अरमान आख़री हैं !

फँस गया जिस प्यार की जाल में उनकी ये चाल आख़री हैं ,
उठने दो अब जनाज़ा मेरा ये अरमान आख़री हैं !

Friday 25 December 2015

लूटती बहेनो की इज़्ज़त देखकर मैं भी शर्मिंदा कुछ कम नहीं

लूटती बहेनो की इज़्ज़त देखकर ,

मैं भी शर्मिंदा कुछ कम नहीं !

  अपने इस भारत देश के ,

   क़ानून में कुछ दम नहीं !

   चलो गला ही घोट दो ,

   लड़की पैदा होते ही !

क्योंकि अब अपनी औक़ात ,

उन हिजड़ों से कुछ कम नहीं !

हूवा यूँ ख़ुश के ये इकरार पहेला पहेला हैं , मत पूछों हमसे ये सलाम पहेला पहेला हैं !

हूवा यूँ ख़ुश के ये इकरार पहेला पहेला हैं ,
मत पूछों हमसे ये सलाम पहेला पहेला हैं !

मिल जाए वो ये अरमान पहेला पहेला हैं ,
कहासे करूँ सुरूवात यें उलझन पहेला पहेला हैं !

उस हसीना से ये इज़हार पहेला पहेला हैं ,
एक ही नज़र में दिल में समा गई वो प्यार पहेला पहेला हैं !

कैसे करूँ बात के ये प्यार पहेला पहेला हैं ,
नज़र बोल रही ज़ुबा ख़ामोश हैं ये एहसास पहेला पहेला हैं !

तेरे मेरे प्यार का अभी इकरार बाक़ी हैं , जाना ना तु सनम अभी शाम बाक़ी हैं !

तेरे मेरे प्यार का अभी इकरार बाक़ी हैं ,
जाना ना तु सनम अभी शाम बाक़ी हैं !

जो पिलाई थी नैनो से तूने उसका ख़ुमार बाक़ी है ,
अभी तो प्यार का सारा हिसाब बाक़ी हैं !

आजाओ पास थोड़ा मुझमें अभी जान बाक़ी हैं ,
मेरे इस प्यार का अभी आख़िर अंजाम बाक़ी हैं !

रात बाक़ी हैं बात बाक़ी हैं दिल का अभी अरमान बाक़ी हैं ,
फिर भोंकना ख़ंजर मेरे सिने में अभी मुझमें थोड़ी जान बाक़ी हैं !

आख़री साँस बाक़ी हैं तेरे प्यार का वो सितम बाक़ी हैं ,
कर देना फिर तु मेरा क़त्ल के मुझमें अभी थोड़ा प्यार बाक़ी हैं !

Writer :- ॐTiwari

Thursday 24 December 2015

हास्य कविता ( १ )

एक दोस्त कल खाने पे आया 
मेरी पत्नी ने खाना लगाया 
कहिसे मेरा बच्चा आया 
और खाना सारा गिराया 
मैंने भी न आव देखा न ताव
बस बच्चे को मैंने दी चमात 
और ग़ुस्से में बोला 
अबे नालायक की औलाद
दोस्त बोला ग़ुस्सा नहीं करते
ये हैं तो तेरे हीं बच्चे 
लगता हैं ये अकेला हैं 
इसे भी एक दोस्त चाहिए 
मैंने ये सुनकर उससे बोला 
कल से मैं एक और की तैयारी करता हु 
उतने में पत्नी अंदर से बोली अब ये हो नहीं सकता
मैं तेरे भरोसे रहेती तो ये भी नहीं होता  !

इतना न इठलाया करों

   इतना न इठलाया करों ,
थोड़ा सम्भल कर चला करों !
      ज़माना बड़ा ख़राब ,
  इतना न पास आया करों !
   न आओ इतना पास मेरे ,
   के अरमान जाग जाएँगे !
    उमड़ रहे हैं उमंग अभी ,
   ये रोम रोम जाग जाएँगे !
  गर जाग गए नस नस तो ,
  बड़ी तुझे परेशानी होगी !
    इस ठंड के मौसम में ,
   तु ही मेरी रज़ाई होगी !
तेरे होंठों ने प्यास जगाकर ,
  मेरे दिल में घर बसाया !
   मेरे इन अरमानो को ,
तेरे हुस्न ने राह दिखाया

हुस्न परी

वो थी आगे आगे ,
मैं था उसके पीछे पीछे !
वो हुस्न की परी थीं ,
बड़ी हीं नाजों से पली थी !

कुछ दूर पीछा करते हीं ,
उसने मूड कर देखा !
देखकर उसको ऐसा लगा ,
जैसे मैंने खुदा को देखा !

दिल ने छेड़ा तराना ,
मौसम ने नग़मा गाया !
ली अंगड़ाई जब उसने ,
सूरज ने भी शीश झुकाया !

देख के उसकी ज़ालिम अदा ,
ये बादल भी घिर के आया !
बिन मौसम के आज इसने ,
पानी हैं बरसाया !

शाम सुहानी हुई तो ,
तेरा हुस्न और भी छाया !
मेरे दिलो दिमाग़ पर ,
हर पल हैं तेरा ही साया !

प्यार की राह

बहेक चुका था मैं तो कब का ,
तेरी ज़ुल्फ़ों ने मुझको सँवारा हैं !
इस बे दर्द ज़माने में 
बस तेरा ही मुझको सहारा हैं !

तेरी इस मुस्कान ने सनम ,
मुझको अब तक राह दिखाया !
वरना इस ज़माने ने ,
मुझको बहोत भटकाया !

इस प्यार की राह से ,
मैं तो अब तक अंजान था !
भटक रहा था मैं तो गलियों में ,
सम्भला जब साथ मिला तुम्हारा ,

तेरी बाहों ने मुझको सँवारा ,
तेरे होंठों ने मुझको निखारा !
इस प्यार के समंदर में ,
अब तूही मेरा किनारा !

एक पल के लिए भी ,
जों आँखो से तु ओझल हुई !
दिल ये तब तब डरता रहा ,
कहीं तुम मुझसे जुदा नहीं हुई !

यूँही साथ देना तुम हमारा ,
कभी न होना मुझसे जुदा !
अब के बिछड़ गई तो ,
फिर इस दुनिया में न मिलेंगे दोबारा !



Wednesday 23 December 2015

इस रात की कभी सुबह ना हो

इस रात की कभी सुबह ना हो ,
इस प्यार का कभी अंत ना हो !
यूँही हँसते गाते बीते सारी ज़िंदगानी ,
राहों में कभी कोई काँटे न हो !

रातों को जागना आपने सिखाया ,
इन तारों को चमकना आपने सिखाया !
ये मौसम कभी न था इतना नशीली ,
इस मौसम को बहेकना आपने सिखाया !

तेरे हुस्न पर मिट चला हूँ ,
ज़रा होंठों को अपने खोल दो !
अंतिम साँसें गिन रहा हूँ ,
इन आँखो से कुछ बोल दो !

तेरे हुस्न पर मैं यूँही लूटता रहूँगा ,
मैं तेरे लिए रोज़ थोड़ा थोड़ा मरता रहूँगा !
कभी न आँसू गिरने पाए तेरी आँखो से ,
बस इसीलिए मैं पूरी उम्र हँसता रहूँगा !

लालबाग च्या राजा ची महिमा निराळी

लालबाग च्या राजा ची ,

महिमा निराळी शान नीराऴी  !

सर्वांचा नवस तो पूर्ण करतों ,

आपल्या भक्तांच तो दुःख हरतो !

चला आपण हीं त्याचा चरणी जाऊँ !

पाहु आपल्या लालबाग़ चा राजा ला !

त्याच्या चरणी मस्तक ठेऊन ,

आपण ही नवस त्याला करूया !

सर्वांची इच्छा तो पूर्ण करतों ,

आपल ही मनातल त्याला सांगु !

सर्वांचा लड़का तो देव माझा ,

देवांचा देव लालबाग चा राजा !

जो आला चरणी त्याचा ,

तो हँसत नाचत गात गेला !

ज्याचा मस्तक वर त्यानी हाथ ठेवल ,

क़धी न त्या भक्तावर संकट आला !

पुण्यवान तिथले रहीवाशी ,

तीथेच राहतों गणराज माझा !

चला त्याचा पायी मस्तक ठेऊया ,

मस्तक ठेऊन त्याचि आरती करूया !

जयघोष लालबाग़ चा राजा चीं ,

बोला जय जय गणरायाचीं !

हर दिल में भक्ति जगालो महाशक्ति का नवरात्र हैं

            हर दिल में भक्ति जगालो
             महाशक्ति का नवरात्र हैं 
              जो माँगे वहीं पाजाए
             मेरी मैया का दरबार हैं 

            सच्चे मन से जो भी आए 
               उसिका बेड़ा पार हैं 
            जों न इनके दर पर आए
            उसका जीना हीं बेकार हैं 

            हर दिल में भक्ति जगालो.........

               दिया बत्ती धूप जलालो
             हर राह में तुम दीप जलालो
             सब के लिए मेरी माइयाँ का 
                खुला हमेशा दरबार हैं 

              हर दिल में भक्ति जगालो.........

                जैसी शक्ति वैसी भक्ति
                यहाँ सभी का बेड़ापार हैं 
          जो मिल जाए उसी में ख़ुश हो लेती 
              बड़ा ही सरल सा स्वभाव हैं 

              हर दिल में भक्ति जगालो.........

              न कोई अमीर न कोई ग़रीब 
                यहाँ सभी एक समान हैं 
             न कोई दुश्मन न कोई पराया
           मेरी माइयाँ का यहीं चमत्कार हैं 

             हर दिल में भक्ति जगालो.........

          
         तुम भाई आओ धूप बत्ती जलाओ ,
      हाथ जोड़कर माइयाँ का ध्यान लगाओ !
             बन जाएँगे तेरे बिगड़े काम ,
बस चरणों में शीश झुकालो वही हैं सारे चारों धाम !

             हर दिल में भक्ति जगालो.........

          तूही शेरा वाली तूही ज्योता वाली ,
           तूही मेहरा वाली तूही विंध्वासिनी ,
        तूही हम भटकों को राह दिखाने वाली  ,
          यूँही सदा मेरे सर पर तेरा हाँथ रहें !

            हर दिल में भक्ति जगालो.........

लड़कियाँ और क़ानून

  घबराई सी हैं लड़कियाँ सारी ,

    चिंता में सारे माँ बाप हैं !

       इस दुनिया में अब ,

       हर कोई हैवान है !

  आज बेटियों के पैदा होने पर ,

     हर माँ बाप घबराएँ हैं !

   वो इंसाफ़ माँगने जाए कहाँ ,

  अपना क़ानून हीं अभी नंघा हैं !

Tuesday 22 December 2015

एक तेरी मुस्कान में , मेरी सारी दुनिया समाईं हैं !

एक तेरी मुस्कान में ,

मेरी सारी दुनिया समाईं हैं !

बस तेरे ही ख़ातिर ,

ये दीवाना दुनिया में आया हैं !

तु मुझे चाहे या ना चाहे ,

इससे मुझे कोई ग़म नहीं !

तेरे चेहरे पे यूँही मुस्कान रहे ,

मेरे लिए ये भी किसी प्यार से कम नहीं !

ये प्यार की बाज़ी मैं ,

आज हार गया तो क्या !

तु मेरे दिल के पास हैं ये वजह भी ,

जीने के लिए कुछ कम नहीं !

लड़कियाँ बचाओ दुनियाँ बचाओ

    आज लूटी जो इज़्ज़त बहेनों कीं ,
   तो कल राखी क़िस्से बँधवाओगे !
     माँ कि ममता वो माँ की गोद ,
     कल फिर तुम कहाँ पाओगे !

        समय की इस धार में ,
     तुम फँसते ही चले जाओगे !
     आज खोया बहूँ बेटी तुमने ,
     कल माँ को भी न पाओगे !

        हैवानियत का खेल यें ,
       कब तक खेल पाओगे !
       नहीं रहेंगी माँ बेटी तो ,
     फिर जन्म कहा से पाओगे !

    आसमान से तो टपकोगे नहीं ,
      आना तो इसी गोद से हैं !
       इस नज़रिए से देखो तो ,
नोच रहा तु अपनी माँ की गोद को हैं !



बूढ़ी हाँथों में अब वो जान नहीं

          बूढ़ी हाँथों में अब वो जान नहीं ,

         बेटा कहे रहा तू मेरा अब बाप नहीं !

     बहू बोलती मुफ़्त की रोटियाँ बहोत तोड़ ली ,

     चल निकल यहाँ से अब तेरा कोई काम नहीं !

     आज ख़ून के रिश्तों ने क्या रंग दिखलाया हैं ,

      अपनो ने ही आज अपनो को रुलाया हैं !

   मंज़िल थी पास बहोत अपनो का भी साथ था ,

अपना किसी से बैर नहीं मुझे अपनो ने मार गिराया हैं !

हाय रे क़िस्मत नारी की

रंग बदलते आदमी के चेहरे पर ,
बस भूख का ख़ुमार होता हैं !
हवस उठती हैं मन में ख़ुद के ,
और बदनाम लड़कियों को करता हैं !
क्या ख़ूब खेल हैं ये क़िस्मत का ,
बस औरतों पर ही ये ज़ुल्म हूवा !
हवस भरी निगाह दुनिया की ,
हर युग में नारी पर ही अत्याचार हूवा !
क्या राम क्या कृष्ण ,
क्या अकबर क्या झाँसी की रानी !
हर युग में देखो तो बस ,
नारी का इज़्ज़त तार तार हूवा !
अजब लोंग हैं इस दुनिया के ,
ख़ुद दर्द देकर ख़ुद दवा देने आते हैं !
थोड़ी सी ये रहेम दिखलाकर ,
हमको को हीं लूट जाते हैं !

क़ानून और महिलाएँ

         डरी डरी हैं आज महिलाएँ सारी ,

       बड़े गमगीन आज माँ बाप भाई सारे !

      इस दुनियाँ में दुष्कर्मी को पहेचाने कैसे ,

      हम अपनी बहूँ बेटियों को बचाए कैसे !

   आज बेटियों के जन्म पर हर माँ बाप रोते है !

बेटियाँ घर से निकले कैसे हर गली में बलत्कारी हैं !

गली की तो बात छोड़ो यहाँ तो बाप भाई भी दुष्कर्मी हैं ,

हम इंसाफ़ माँगने जाए कहाँ उनका तो रखवाला ही क़ानून हैं  !



Monday 21 December 2015

जो हिंदू पिघल गया मुल्लों की माफ़ी से , वो कल कहाँ था जब भगतसिंह चढ़े थे फाँसी पे !

जो हिंदू पिघल गया ,
मुल्लों की माफ़ी से !
वो कल कहाँ था ,
जब भगतसिंह चढ़े थे फाँसी पे !
जिस हिंदू को सिख नहीं मिली ,
वो वीर रानी लक्ष्मी बाई से ,
वो क्यों आज आज़ादी खोजता ,
इन भ्रष्ट नेताओ में !
जिसका ख़ून खौला था सुनकर ,
वीर छत्रपति शिवाजी के वाड़ी पे !
वो आज हिजड़ा बनकर बैठा हैं ,
अपने हीं माँ बहेनो के लूटती लाज पे !
जिनके बाप दादा लूट गए ,
देश को बचाने में !
उन्ही के नाती पोते आज ,
बिक रहें चंद पैसों व सिक्कों पे !
आज बड़ा हीं बुरा देश का हाल हैं ,
जहा देखो वहाँ चोरो  का ही राज हैं !

तेरे प्यार में पड़कर गोरी , मेरी ज़िंदगी की आज आख़री रात हुई !

सुबह से दोपहर हुई ,

दोपहर से शाम हुई !

बस तेरी भूल भुलैया में ,

मेरे जीवन की रात हुई !

रात तो मेरी तब ही हुई ,

जब तुझसे आँखे चार हुई !

जनाज़ा तो निकला हैं अब ,

तेरे जाते ही ये जान बेजान हुई !

चंद पैसों के ख़ातिर तु बेवफ़ा हुई ,

सच कहेता हूँ तु तो आज खुदा हुई !

तेरे प्यार में पड़कर गोरी ,

मेरी ज़िंदगी की आज आख़री रात हुई !

मिली जो नज़र से नज़र , तो ये ज़माना जान जाएगा !

मिली जो नज़र से नज़र ,
तो ये ज़माना जान जाएगा !
तुम चेहरे से बातें करना ,
वरना ये राज खुल जाएगा !
हम चेहरा पढ़ लेते हैं ,
तुम चेहरे से हमें बताना !
इस प्यार की राह पर ,
थोड़ा बचते बचाते आना !
ये भाषा हैं पागल प्रेमी की ,
इसे तो एक प्रेमी ही जाने !
बिन बोले ये सारे ,
उनके लफ़्ज़ों को पहेचाने !

Sunday 20 December 2015

सुबह के किरणों में , एक नया जीवन संगीत हैं !

सुबह के किरणों में ,
एक नया जीवन संगीत हैं !
हो प्यार से भरी ये दुनिया ,
यहीं उसके लबों पर गीत हैं !
हँसते गाते यूँही बीते ,
सब की सुबह की बेला !
फिर चुपकेसे आजाएगी ,
दोपहर सुनहरा !
इस धूप छांव के खेल में ,
बीत रहा जीवन का मेला !
कुछ वादे लेकर आई शाम ,
और रात हुई तो टूटे सारे अरमान !

इस रात की चादर में एक बेवफ़ाई का साया हैं , फिर भी न जाने क्यूँ मुझे वहीं चेहरा भाया हैं !

इस रात की चादर में एक बेवफ़ाई का साया हैं ,
फिर भी न जाने क्यूँ मुझे वहीं चेहरा भाया हैं !

कहेने को वो दुनियाँ से लड़कर आया हैं !
पर सच बोलू तो ये माजरा उसी ने फैलाया हैं !

होंठों पे मुस्कान दिल में लिए कटार आया हैं ,
न जाने कितने मासूमों को रौंद कर आया हैं !

प्यार की राह में वो एक काँटा बनकर आया हैं ,
चेहरे पर मुस्कान लिए जाने कितने को मार गिराया हैं !

लाख बुराइयाँ हैं उसमें पर मुझे वहीं दीवाना पसंद आया हैं ,
मेरे साथ आज भी उसी बेवफ़ा का साया हैं !

Saturday 19 December 2015

दिल की यादों में बस ख्याल हैं उनका , रातो के तन्हाई में बस साथ हैं उनका !

दिल की यादों में बस ख्याल हैं उनका ,
रातो के तन्हाई में बस साथ हैं उनका !

हर पल मेरे सामने चेहरा हैं उनका ,
मेरे हर मुश्किल में साथ हैं उनका !

मेरे इन होंठो पर तराना हैं उनका ,
इस तिनके को सहारा हैं उनका !

इन नैनों को हर पल तलाश हैं उनका ,
आँखे बंद करू तो बस दिदार हैं उनका !

होंठों पर हर पल नाम हैं उनका ,
मुझ पर लूट जाना ये अरमान हैं उनका !

आसमान की हूर हैं , या कोई नूर हैं ! दिल के आशियाने में , एक हल्का सा सुरूर हैं !

आसमान की हूर हैं ,
या कोई नूर हैं !
दिल के आशियाने में ,
एक हल्का सा सुरूर हैं !
सुंदरता की मूरत हैं ,
या कोई ख़्वाब हैं !
लगता हैं जैसे कोई ,
मंदिर की तू ज्योत हैं !
होंठो पर जो ये तेरा तिल हैं ,
गोरी यही मेरा दिल हैं !
कहे रहा ये पुकार के ,
मुझे तुझसे ही प्यार हैं !
तू ही मेरी अरमान हैं ,
तू ही मेरी जहान हैं !
मेरे प्यार की तुही मंजिल ,
तू ही मेरी आखरी कहानी हैं !

सुना हैं अब तू अपनी वफ़ा का गीत गाती हैं , मैं उन गीतों में तेरी वफ़ा का सुराग ढूंढता हूँ !

तेरी चाहत में मैं कभी हुवा था दिवाना ,
उस चाहत की अब वफ़ा ढूंढता हूँ !

मिले थे जो तेरे कदम मेरे क़दमो से ,
उन क़दमो का निशा हर राहों में ढूंढता हूँ !

तेरी बाँहों में हमने जो लम्हें गुजारे ,
उन लम्हों में तेरा वजूद ढूंढता हूँ !

तेरे संग बिताए जो रातें हमने ,
मैं उन रातों में तेरा निशा ढूंढता हूँ !

तेरे होंठो का रस वो मस्त नयन ,
वो बदन की खुशबू मैं अब तक ढूंढता हूँ !

सुना हैं अब तू अपनी वफ़ा का गीत गाती हैं ,
मैं उन गीतों में तेरी वफ़ा का सुराग ढूंढता हूँ !

सपनो की दुनिया से , एक हूरपरी आई हैं !

सपनो की दुनिया से ,

एक हूरपरी आई हैं !

रात का दिल बहलाने ,

वो हसीन चाँदनी आई हैं !

तुही शोला तुही शबनम ,

तुही बनकर प्रित आई हैं !

मेरे प्यार का सौगात लेकर ,

मेरे जीवन में तू बहार लाई हैं !

मेरी आशा की किरण है तू ,

तुही जीने की नई राह लाई हैं ! 
                    
भटक गए थे हम तो मंजिल से ,

तूने ही मुझे मेरी मंजिल दिखलाई हैं !

पथ से काँटे हट जाएंगे , राम नाम जपना स्वीकार करलो !

आँसुवो में जिंदगी बिताने वालो ,
किस्मत पर एतबार करलो !
फिर होगा सवेरा जिंदगी में ,
उस खुदा पर थोडा एतबार करलो !

प्रभु तो हैं हर कण कण में ,
उनपर तुम विश्वास करलो !
मिल जाएगी मंजिल तुझे ,
चरणों में उनके खुद को न्योछावर करलो !

महेक उढ़ेगी बगिया तेरी ,
बेटियों को स्वीकार करलो !
करके स्वीकार उनको ,
अपने गलतियों का पश्चाताप करलो !
 
होंगे मुरादे पूरी बेटियों को ,
लक्ष्मी के रूप में स्वीकार करलो !
पथ से काँटे हट जाएंगे ,
राम नाम जपना स्वीकार करलो !

कल तक थे जो साथी तेरे आज वहीँ तेरे दुश्मन हैं , आँखे खोल के देख जरा तेरे अपने ही तेरे दुश्मन हैं !

सच्चा बनिए पर न बनिए चुग़ल ख़ोर  ,
एक पैसे के ख़ातिर न फैलाओ झूँठ चहुओर !

सच बोलिए पर न बोलिए कभी झूँठ ,
ईश्वर का अंश हो बनो सच का ज्योत !

साया बनकर प्यार का चमको चहुओर ,
छाया दो रही को न भटकाओ उसे कहीं और !

प्यासे को पानी दो पंछी को दो दाना ,
भटकों को राह दिखा दो न यूँ तुम नींद भर सोना !

राहों में काँटे हैं बहोत ज़रा बच के तुम चलना ,
आने वाला हैं तूफान बड़ा जरा डट के तुम रहेना !

कल तक थे जो साथी तेरे आज वहीँ तेरे दुश्मन हैं ,
आँखे खोल के देख जरा तेरे अपने ही तेरे दुश्मन हैं !

Sunday 13 December 2015

गोरी तेरे गालों का ये तिल ,

गोरी तेरे गालों का ये तिल ,
लगता हैं जैसे ये हैं मेरा दिल !
जैसे चमकता हैं चाँद आसमान में ,
वैसे ही खिलता हैं यें आपके चेहरे पर !

जितना मैं देखूँ जी भर कर ,
उतना ही ये ज़ुल्म ढाता हैं  !
तेरे गालों पर ये चार चाँद लगाकर ,
हमें बहोत हीं तरसाता हैं !

तेरी ख़ूब सुरती का ये राज हैं ,
बुरी नज़र का ये इलाज हैं !
सच कहूँ तो ये आपके मुख पर ,
मेरे प्यार का ये पैग़ाम हैं !

रातों को गिरती शबनम सा हैं ,
खुला आसमान में तारों सा हैं !
जैसे खिलता हैं फूल बाग़ में ,
वैसे ही ये खिलता हैं आपके मुख पर !

हम तरसते हैं जिनके लिए वो तरसते हैं किसी और के लिए , ख़ुदा करे उनको उनकी मंज़िल मिले और हम यूँही तरसे उनके लिए !

हम तरसते हैं जिनके लिए ,
वो तरसते हैं किसी और के लिए !
ख़ुदा करे उनको उनकी मंज़िल मिले ,
और हम यूँही तरसे उनके लिए !

उनकी तमन्ना ख़ुदा तू हर हाल में पूरा कर ,
फिर चाहें तू मुझपर कितना भी ज़ुल्म कर !
कभी न मैं उफ़ तक करूँगा ,
बस तू उनका दामन सदा ख़ुशियों से भर !

तू चाहे जहाँ भी रहे ,
तेरा जहाँ सदा आबाद रहे !
मेरा सब कुछ हैं तुझपर अर्पण ,
फिर क्यूँ न हम सदा यूँही बर्बाद रहे !

मुझसे तू न मिलना चाहे तो कोई बात नहीं ,
मेरी अर्थी पर कल तू मिलने आज़ाना !
हम तो राही हैं सफ़र के ,
चाहें तो हाथ बटाने तू आजना !

न आँसू बहाना दिखावे का ,
बस इतना ही करम तुम हमपर कर जाना !
मेरी अर्थी निकले तो बस तुम ,
अपना शीश ज़रा झुका देना !

बड़ी वफ़ा निभाई जीते जी तुमने ,
मरने पर भी वफ़ा निभा जाना !
अपनी बेवफ़ाई पर तुम ,
हमपर ही तोहमत लगा जाना !

मैं जलूँगा शमशान में ,
तुम बाँहों में उनके जल जाना !
जन्नत रशिद होगी तुमको ,
यूँही बाँहों में सबके तुम झूल जाना !

करना दिन रात मज़ा तुम ,
हमें न फिर तुम याद करना !
जीते जी सताया मुझको !
मरने के बाद यूँ न हमें तुम सताया करना !

मेरे प्यार का तु चाहे कितना भी इम्तिहान लेले , रता रहूँगा तुम पर सदा तु चाहे जनम कितनी भी बार लेले !

मेरे प्यार का तु चाहे ,
कितना भी इम्तिहान लेले !
मरता रहूँगा तुम पर सदा ,
तु चाहे जनम कितनी भी बार लेले !

जब से तुझसे प्यार हूवा ,
तू ही मेरी पहचान बन गई !
तू और तेरी यादों की ,
अब पूरी दुकान खुल गई !

मेरे जीने की आस हैं तु ,
मेरी तो बस चाहत हैं तु !
तू नहीं तो कुछ भी नहीं मैं ,
मेरी तो आख़िरी ख़्वाहिश हैं तु !

मेरे प्यार की कभी शाम ना हों ,
पास राहों तुम कभी दूर ना हों !
जो धूप लगें मुझे तो ,
तेरी ज़ुल्फ़ों का छांव हों !

आशियाना हों तेरा फूलो के डगर में ,
कोई न काँटे हों तेरे सफ़र में !
हो अँधियारा दूर तेरा ,
तारों सा जगमगाता तेरी ज़िंदगानी हों !

महेल हों तेरा एक सपनों का ,
ख़्वाबों सा यें संसार हों !
बादलों में हो उठना बैठना ,
चाँद से रोशन सारी तेरी राहें हों !

सुना हैं तुम हमें अब जानती ही नहीं

सुना हैं तुम हमें अब जानती ही नहीं ,
मेरे प्यार को तुम मानती हीं नहीं !
प्यार किया इस्तेमाल किया ,
और अब कहेती हों हमें पहेचानती हीं नहीं !

चलो माना गुज़ार दोगी ए जन्दगी मेरे बिन ,
पर वो मेरा प्यार कहा पाओगी !
अगर हम हुवे बर्बाद सनम ,
तो सोचलो तुम भी चैन कहा पाओगी !

तड़प उठोगी मेरे बिन तुम हर रातों को ,
दिन में भी तुम कहीं चैन नहीं पाओगी !
मेरे बिन जीना हों जाएगा दुशवार तेरा ,
हर जगह बस तुम मुझे ही पाओगी !

मेरे जीने की तु आख़री ख़्वाहिश हैं ,
मेरे हर रोम रोम में तु हीं समाई हैं  !
तेरी जो भी मंज़िल हों ,
मेरी तो बस तूही आख़री मंज़िल हैं !

तू और तेरा हुस्न अब शराब बन चली हैं , देखने से हीं चढ़ जाए नशा तु वो शराब हों गई हैं !

तू और तेरा हुस्न ,
अब शराब बन चली हैं !
देखने से हीं चढ़ जाए नशा ,
तु वो शराब हों गई हैं !

सम्भल जाएँगे इस ,
मयकदे में सारे पीने वाले !
बस तेरी आँखों का ,
एक इशारा तो हों !

तेरा हुस्न एक मायक़दा ,
तेरे होंठ शराब का प्याला !
आँखों हैं शराब से भरी ,
तू पूरी बोतल की शराब !

तेरी आँखो में जो नशा हैं ,
आ उसका मैं जाम बना लूँ !
तु देखती जा जी भरकर मुझे ,
मैं एक मयखना तेरे नाम बना दूँ !

बोतल की नहीं ज़रूरत ,
आँखो से हीं तु जाम पिलादे !
तेरे हुस्न के नशे के में ,
तु आज मुझे डुबो दें  !

पीने वाले को होश न आए ,
इस क़दर तु जाम पिलादे !
नशा भरा तेरी जवानी में ,
अपने होंठों से तु बस जाम पिलादे !