Saturday 30 January 2016

मेरे क़लम की जान हों तुम

किसी का प्यार हों तुम ,
किसी का भोर हों तुम !
पर जबसे क़दम पड़े तेरे मेरे जीवन ,
तबसे मेरे क़लम की जान हों तुम !

Friday 29 January 2016

नारी व अत्याचार

हर राह हर गली में नारी पर ज़ुल्म होता हैं ,
जहाँ देखो वहीं बस अत्याचार होता हैं !
मारी सिटी खिंचा दुपट्टा ,
फिर इज़्ज़त उनका तार तार होता हैं !

क्यों नहीं समझते हुस्न जब बे पर्दा होता हैं ,
तभी आग लगने का डर होता हैं !
मत छेड़ो राह चलते उनको ,
इन्ही में माँ काली का रूप बसता हैं !

बन गई ये काली माँ तो ,
फिर अंतिम छःण तेरा दूर नहीं !
सोच विचार ले तु अब भी ,
ये कोई अबला नारी नहीं !

Thursday 28 January 2016

सच्चा प्यार कभी बर्बाद नहीं होता

सच्चा प्यार कभी बर्बाद नहीं होता ,
हर आशिक़ कभी बेवफ़ा नहीं होता !
चाँद गगन चाहे धरती से तुम पूँछ लो ,
जलते हीं चराग महफ़िल में फिर अँधेरा नहीं होता !

Wednesday 27 January 2016

मैं और तेरी परछाईं हैं

मैं मेरी क़लम और तेरी परछाईं हैं ,
तु नहीं तो सनम तरी याद हीं चली आइ हैं !
तु मुझसे दूर मैं तुझसे दूर ,
और कोई नहीं साथ मैं और तेरी परछाईं हैं 

ये ग़ज़ल ये शाम और तु याद आइ हैं ,
हर लफ़्ज़ हैं रूठे रूठे हर तरफ़ तन्हाई हैं !
तु नहीं तो मैं नहीं मैं नहीं तो तु नहीं ,
दूर तक हैं ख़ामोशी मैं और तेरी परछाईं हैं !

हर राह हैं सुना सुना हर जगह अँधियारा हैं ,
रोशनी चुभती हैं शूल सा अँधियारा बड़ा हीं प्यार हैं ,
बिन तेरे उजड़ा मेरा संसार ,
कोई न अब साथी मैं और तेरी परछाईं हैं !

हर दिन हैं बुझा बुझा हर हर रात सिर्फ़ तन्हाई हैं ,
सावन भी भाता नहीं हर मौसम हरजाई हैं !
बिन तेरे मैं भी न जी पाउँगा ,
इस जहाँ में बस मैं और तेरी परछाईं हैं !


Tuesday 26 January 2016

नील गगन में लहराए तिरंगा

भारत की धड़कन तिरंगा ,
शहीदों की याद तिरंगा !
हम सब को देश भक्ति सिखलाती ,
नील गगन में लहराए तिरंगा !

अपने इतिहास का गवाह तिरंगा ,
उन महान शूर वीरों की गाथा तिरंगा !
सभी की प्रेम भावना सिखाता ,
नील गगन में लहराता तिरंगा !

रग रग में दौड़ता तिरंगा ,
हर बच्चे की मुस्कान तिरंगा !
दुश्मन भी शीश झुका दे ,
यूँ नील गगन में लहराए तिरंगा !

भारत की शान तिरंगा ,
भारत की जान तिरंगा !
फक्र से सर ऊँचा कर्दे ,
यूँ नील गगन में लहराए तिरंगा !

Monday 25 January 2016

आज भारत के लाल हीं अपनी माँ को बेचते हैं

देते हैं पैसे का लालच ,
फिर वतन लुटवाते हैं !
आज कुछ अपने ही भाई बंधू  ,
कांवड़ियों के दाम बिकते हैं !

पीते हैं जिस माँ का दूध ये ,
उसिका ये स्तन नोचते हैं !
हर नुक्कड़ हर गली में ,
खड़े हुवे ये कुत्ते मिलते हैं !

लूट कर अपनी हीं माँ को ,
दुश्मन के तलवे चाटते हैं !
जो किसी का हो ही न सका ,
उसी पैसे के पीछे ये भागते हैं !

चंद पैसों के ख़ातिर ये ,
सारा खेल रचते हैं !
जिस थाली में खाते हैं ,
उसी में ये छेद करते हैं !

इंसा के रूप में ये ,
भेड़िए का दिल रखते हैं !
आज भारत के लाल हीं ,
अपनी माँ को बेचते हैं !

किसी का प्यार किसी का दुलार छोड़ आया

किसी का प्यार किसी का दुलार छोड़ आया ,
अपने आँगन की वो छांव छोड़ आया ! 
मैं अपने भारत माँ को बचाने ,
मैं अपने बच्चे को घर रोता छोड़ आया !

गणतंत्र दिवस नहीं ये एक दिन का इसे सब रोज़ मनाओ

गणतंत्र दिवस नहीं ये एक दिन का ,
इसे सब रोज़ मनाओ !
बुझगए आज़ादी में चिराग़ जिन घरों के ,
बनके दीपक उस घर को तुम रोशन कर आओ !

तेरी आँखो के आँसू बया कौन करेगा

तेरी मोहब्बत का इंसाफ़ कौन करेगा ,
सभी गर पट गयी तो नफ़रत कौन करेगा !
यहीं सोचकर मैं गुनाह कर जाता हूँ ,
वरना तेरी आँखो के आँसू बया कौन करेगा !

मेरी बातों पर यक़ीन कौन करेगा ,
सब सुधर गए तो बदमाशी कौन करेगा !
यहीं सोचकर मैं तुझे छेड़ जाता हूँ ,
वरना तेरे ग़ुस्से को बया कौन करेगा !

तु हैं फूल तुझसे भूल कौन करेगा ,
तेरी हर रात का फँसाना कौन बया करेगा !
यहीं सोचकर मैं रुक जाता हूँ ,
वरना तेरे हुस्न की तारिफ़ कौन करेगा !

तेरे परछाइयों में साथ कौन रहेगा ,
तेरी उम्मीदों पर क़ायम कौन रहेगा !
बस तेरी उम्मीदों पर ज़िंदा हूँ आज ,
वरना मेरे मरने के बाद तुझसे प्यार कौन करेगा !



Friday 22 January 2016

ये सर्द हैं या तुम्हारी ठंडी आँहें

ये सर्द हैं या तुम्हारी ठंडी आँहें ,
ये रात हैं या तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के साये !
भर देता हैं सिहरन तेरा हुस्न और ये सर्द ,
अब तूही बता जाना हम कैसे तुम बिन जिए !


सुबह शाम तू ध्यान लगा

सुबह शाम तू ध्यान लगा ,
हर पल प्रभु के गुण गान गा !
समय को न यू ब्यर्थ गँवा ,
राम नाम तू जपता जा !
हँसते जपले रोते जपले ,
गाते जपले नाचते जपले !
मिला हैं प्रभु से जो चार पल ये ,
क्यों न इस पल में तु राम नाम जपले !
इसी नाम में सत्य हैं ,
इसी नाम में मोक्ष !
बैठे बैठे तु यहीं काम करले ,
जय श्री राम तु नाम जपले !
बसे सबके रोम रोम में ,
हर फ़िज़ा हर वादियों में !
यक़ीं नहीं तो आँख मूँद ले ,
लेकर राम का नाम उनका दर्शन करले !

हम दीवाने हैं तेरे जलवों के अपना एक जलवा दिखादे

हम दीवाने हैं तेरे जलवों के अपना एक जलवा दिखादे !
आजाए चैन तुझे बस इतना हमपर जुर्म ढा दे !
बनकर शोला मुझपर तु आग बर सा दे ,
पर मुझको मरने से पहेले एक बार अपना तू वो दिखा दे !

घनघोर अँधेरा हैं

ग़मों का बादल और सुर्ख़ अँधेरा हैं ,
रुकना ना अभी घनघोर अँधेरा हैं !

यादों का बादल तूफ़ानो का संगम हैं ,
चलते चले चलों अभी घनघोर अँधेरा हैं !

ठेलम पे ठेला और रेलम पे रेला हैं ,
मैं मेरा साया और घनघोर अँधेरा हैं !

हर क़दम यहाँ काँटों का मेला हैं ,
सम्भल कर चल अभी घनघोर अँधेरा हैं !

मंज़िल तेरी अभी दूर नहीं पास हीं किनारा हैं ,
बढ़ते चले चलों अभी घनघोर अँधेरा हैं !

कोई न साथी कहीं न तेरा साया हैं ,
ज़िंदगी के पथ पर तू अकेला और घनघोर अँधेरा हैं !

इस रात के अंधेरे में एक ख़ामोशी बिखरी हैं

इस रात के अंधेरे में एक ख़ामोशी बिखरी हैं ,
न जाने किसने कितनी कलियाँ तोड़ी हैं !
जिन्हें हक़ था खिलके मुस्कुराने का ,
न जाने उनकी हीं ख़ुशबू कितनो ने लूटी हैं !

Thursday 21 January 2016

ये कश्मीर हमारा हैं

वीर शिवाजी महाराणा प्रताप के परछाईं हैं हम ,
तान के सीना बोलों ये कश्मीर हमारा हैं !

डरते नहीं तलवारों गोलियों के बौछार से ,
हैं दम तो आज़मा ले ये कश्मीर हमारा हैं !

हर गली गली में गूँज रहा यहीं नारा हैं ,
सुन ले पाकिस्तान ये कश्मीर हमारा हैं !

हम भारत माँ के दीवाने हैं सीना तान कर चलते हैं ,
सुन ले कुत्ते की औलाद ये कश्मीर हमारा हैं !

इंसान नहीं अंगार और फ़ौलाद हैं हम ,
छोड़ दे गीदड़ भक्ति देना ये कश्मीर हमारा हैं !

हम राम परशुराम ॐ का नाद हैं ,
सुन ले गद्दारे वतन पाकिस्तान ये कश्मीर हमारा हैं !

Wednesday 20 January 2016

दोस्ताना

जहाँ मिल जाए दोस्तों का याराना ,
हैं वहीं मेरा प्यार का ठिकाना !
यूँही गाते मुस्कुराते रहे ,
अपना ये सारा दोस्ताना !
हों मुश्किल में न घबराना ,
सर उठाकर आवाज़ लगाना !
मंज़िल हैं मेरी दोस्तों की ख़ुशी ,
जब चाहे तुम मुझे आवाज़ लगाना !
लोगों को देखकर न ख़ुद कभी बदलना ,
दल दल चारों ओर देखो कहीं फँस न जाना !
दोस्ती का लहेर हूँ मैं तु दोस्ती का सागर ,
हैं अपनी मिसाल इस दुनिया में दोस्त कहीं तु बदल न जाना !

एक टूटी सी झोपड़ी मेरी , एक टूटा सा ख़्वाब हैं !

एक टूटी सी झोंपड़ी मेरी ,
एक टूटा सा ख़्वाब हैं !
बहे गए अरमान मेरे ,
बिखरा मेरा संसार हैं !
मिलने के कुछ आसार नहीं ,
जीवन में अंधकार हैं !
कोई साथ भी नहीं ,
बस मैं और टूटी सी चारपाई हैं !
कभी ये ख़ुशियों से जगमगाता था ,
आज दुःखों में ये सिमटा हैं !
इस उम्र के पड़ाव में ,
हर मोड़ पर कोई न कोई छूटा हैं !

Tuesday 19 January 2016

सुबह की चादर ओढ़े सूरज आया

सुबह की चादर ओढ़े सूरज आया ,
नई रोशनी नई ख़ुशियाँ लाया !
नई सुबह के साथ रहे सलामत मेरे दोस्त ,
यहीं दुआ मैं उस खुदा के दर फ़रमा आया !

तुझसे मिलकर मैंने ये जाना जीना क्या होता हैं

तुझसे मिलकर मैंने ये जाना जीना क्या होता हैं ,
तुझसे हीं सिखा मैंने हँसना क्या होता हैं !
इतना चाहकर फिर क्यूँ मुकर गई ,
लगता हैं अब शायद बेवफ़ाई का नाम हीं प्यार होता हैं !

Saturday 16 January 2016

गोविंद या गोपाल बोलो

गोविंद या गोपाल बोलो ,
राधेश्याम या दीनानाथ बोलो !
हर रूप में मिल जाएँगे ,
जय जय सीता राम बोलो !

गिरिधर या जगदीश बोलो ,
जगन्नाथ या नरसिंह बोलो !
मिल जाएँगे हर रूप में ,
जय विष्णु भगवान बोलो !

कृष्ण या केशव बोलो ,
मदन या माधव बोलो !
हैं रूप और नाम अनेक ,
जय जय नारायण बोलो !

गिरिधर या द्वारकाधिश बोलो ,
मुरली या मुरलीधर बोलो !
दिल को मिलती हैं संतुष्टि ,
जय जय घन श्याम बोलो !

विश्वकर्मा या सुदर्शन बोलो
श्यामसुंदर या वासुदेव बोलो !
हर रूप हैं मोहनी इनकी ,
जय जय वैकुंठनाथ बोलो !

दिनबंधु या ह्रिषिकेश बोलो ,
नंद लाल या नंद गोपाल बोलो !
हैं सारे जहाँ में वाश इनका ,
जय जय यशोदा नंदन बोलो !


सोचता हूँ आज ग़ज़ल में सारे दोस्तों के नाम लिख दूँ

सोचता हूँ आज ग़ज़ल में सारे ,
दोस्तों के नाम लिख दूँ !
कहा से करूँ सुरूवात बताओ ,
मुकेश , सत्यदीप , या पवन लिख दूँ !

हर एक दोस्त हैं हीरे के बराबर ,
तो किसका मैं नाम लिख दूँ ,
बोलो तो सुरेश दूबे , समर सागर , 
या आफ़रीन का नाम लिख दूँ !

दिल चाहता हैं के आज ,
सारे दोस्तों को सलाम लिख दूँ ,
सोचता हूँ सोनम , पूनम , अनायदा ,
या किरण इनमे से मैं किसका नाम लिख दूँ !

सूरज को दिया दिखाने के समान हैं दोस्त ,
सोचता हूँ मैं किसका नाम लिख दूँ ,
बड़ी दुविधा में हूँ बोलो दोस्तों ,
आज मैं इस ग़ज़ल में किसका नाम लिख दूँ !

Friday 15 January 2016

काया तेरी जैसे कोई सुंदर फुलवारी

काया तेरी जैसे कोई सुंदर फुलवारी ,
कमर तेरी चलती फिरती आरी !
मरने वाले भी दो पल की मोहलत माँग ले ,
तु इतनी ख़ूब सूरत और प्यारी !

चाल ढाल से तु लगती हैं परी ,
ज़ुबा से हैं पर तु बिलकुल छपरी !
आँखे मटकना कोई तुमसे सिखे ,
बातों हीं बातों में तू चला देती हैं छुरी !

सुंदरता तेरी जैसे जलपरी ,
तु हैं उस क़ुदरत की कलाकारी !
जो भी एक निगाह भर कर देख ले ,
वो हों जाए सदा इस जहाँ से बरी !

Wednesday 13 January 2016

मुबारक हों मेरी तरफ़ से आप सब को ये मकरसंक्राती का तेव्हार

दुःख के बादल हट गए ,

छा गए ख़ुशियों के बादल !

गिले सिकवे सब दूर हुवे ,

दूर हुवे सब दुश्मन !

ऐसे ही शानदार मौसम में आया ,

मकरसंक्राती का तेव्हार !

मुबारक हों मेरी तरफ़ से आप सब को ,

ये मकरसंक्राती का तेव्हार !


Sunday 10 January 2016

माँ ही अज़ान माँ हीं क़ुरान

माँ ही अज़ान माँ हीं क़ुरान ,
माँ ही गीता माँ हीं रामायण !
माँ ही सज़दा माँ ही दुवा ,
इन हर साँसों की वहीं हैं खुदा !

कोई लड़ता हैं ज़मीन के लिए , कोई लड़ता हैं पैसों के लिए !

कोई लड़ता हैं ज़मीन के लिए ,
कोई लड़ता हैं पैसों के लिए !
अब देश पे आन पड़ी तो ,
सब मर मिटे हुस्न के लिए !
कोई लड़ रहा जात पात के लिए ,
कोई लड़ रहा भाषा के लिए !
जब माँ पे आन पड़ी तो ,
सब मर मिटे जायदाद के लिए !
कोई लड़ रहा मंदिर के लिए ,
कोई लड़ रहा मस्जिद के लिए !
सड़क पर बैठा वो भूखा बच्चा ,
मर गया एक निवाले के लिए !
भारत की देख ये दुर्दशा ,
मैं आज बहोत परेशान हूँ !
जों मर मिटे वतन के लिए ,
उनके ही बच्चे मोहताज हैं पाई पाई के लिए !

Saturday 9 January 2016

इस देश की एकता पर हम आज शर्मसार हैं

इस देश की एकता पर ,
हम आज शर्मसार हैं !
सच में हम सब भारत माता की ,
नालायक औलाद हैं !
लड़कियाँ घुमाने को ,
टाइम हैं बहोत !
देश की बातें करे तो कहेते हैं ,
फ़ालतू बात के लिए टाइम नहीं हैं !

पड़ोसी देश पाकिस्तानी आतंकवादियों के नाम

आतंकियों से न पूछो उनका मज़हब हैं क्या ,
आँखे खोल के देखो तेरे दुश्मन हैं कहाँ !
बचने न पाए सैनिकों अब के बार ए पूरा पाकिस्तान ,
फिर हम मिलके ये बोलेंगे कहाँ हैं पाकिस्तान !


Friday 8 January 2016

बेटियाँ

माँ बेटियाँ हैं लक्ष्मी का रूप ,

यूँ उनको बदनाम ना कर !

क्या तेरी क्या मेरी बहन ,

यूँ उनकी इज़्ज़त तार तार ना कर !

जिन्हें पूजते हैं देवी समान ,

ऊससे हीं तु बलात्कार न कर !

अपनी माँ के कोख को ,

यूँ तु आज बदनाम न कर !

कहे रहीं ये राखी ये माँग का सिंदूर ,

हैं तु इन्सान का बेटा यूँ तु हैवान ना बन !

अपनी हीं माँ बेटी को ,

यूँ भरे बाज़ार तु नीलाम न कर !

मेरे माँ पापा

माँ बाप के सिवा कोई चलना सिखलाता नहीं ,
उनकी गोद के सिवा कहीं और नींद आती नहीं !
माँ तेरी एक लोरी के सिवा ,
मुझे कोई और गीत याद आता नहीं !

बाप जैसा कोई हमें प्यार जताता नहीं ,
माँ जैसा कोई और भोजन बनाता नहीं !
सब मिल जाता हैं उस भोजन में ,
माँ का वो प्यार भोजन में आज कहीं मिलता नहीं !

मुश्किलों में माँ तेरे सिवा कोई और मुझे याद आता नहीं ,
लग जाए चोट तो तुझसा कोई मरहम मुझे लगाता नहीं !
कहेने को हैं आज मेरे यहाँ लाखों दोस्त ,
पर पापा से बढ़कर कोई और सच्चा दोस्त मुझे याद आता नहीं !

उस पार हैं सवेरा

उस पार हैं सवेरा ,
यूँही गोते लगाता जा !
अपनो की चाह में ,
तूफ़ानो से टकराता जा !

हर ज़ुल्म को यूँही तू सहेता जा ,
हैं घनघोर अँधेरा यूँही तू चलता जा !
सुख की हैं चाह तो ,
दुःख में भी मुस्कुराता जा !

कोई नहीं तेरे साथ यहाँ ,
साये को दोस्त बनाता जा !
मंज़िल तेरी अभी दूर नहीं ,
क़दम पे क़दम बढ़ाता जा !

फिर होगा रौशन जहाँ ,
हौसलों की उड़ान भरता जा !
मंज़िल की चाह हैं तो ,
काँटो पे राह बनाता जा !

गर बन्ना चाहों इंसान तो ,
भूखों को रोटी खिलाता जा !
लेना हैं अपनो से ज्ञान तो ,
अपना सर झुकता जा !

Thursday 7 January 2016

आ अपनी माँग सजाती जा

ज़्यादा नहीं ख़्वाहिश मुझको ,

बस अपना पता बतातीं जा !

हम लूट गए हैं तेरे प्यार में ,

मेरे दिल में घर तु बसाती जा !

न समझ कमीना मुझको ,

इस मर्ज़ की दवा बताती जा !

हम मर जाएँगे यूँही ,

बस कमर तु बलखाती जा !

इस प्यार के दहेलिज पर ,

तु भी क़दम बढ़ाती जा !

हूवा हैं तुमसे प्यार मुझको ,

आ अपनी माँग सजाती जा !

Tuesday 5 January 2016

रात ढलने वाली हैं

        रात ढलने वाली हैं ,
       ये चाँद छुपने वाले हैं !
         दिल में छुपी हैं तू ,
    तो नींद कैसे आने वाली हैं !
      ये रात बहेकने वालीं हैं ,
    ये फ़िज़ा खिलने वाली हैं !
       बीत न जाए ये रात ,
      तु कब आने वालीं हैं !
      ये मौसम तुम्हें बुला रहें ,
       ये तारे टिम टिमा रहें !
     ये चमक चमक कर सनम ,
     बस तुझी को ये बुला रहें !
     लगता है जैसे हम सनम ,
     जनम जनम के बिछड़े हैं 
     आज जो हम तड़पे हैं ,
सच में हम तेरे लिए बहोत रोते हैं !


Monday 4 January 2016

(( ये कविता पठानकोट और देश के नाम ))

देखा दुश्मन तो तान के सीना मैदा में उतर आए ,
मर मिटे तिरंगे पर न तनिक क़दम डगमगाए !
पठानकोट हो या हो कोई भी सीमा रेखा ,
बस उन्होंने यहीं सोचा तिरंगा न झुकने पाए !

गले लगाकर फिर सर क़लम कर देना ,
यहीं दुश्मनों की असली चाल हैं !
हर दम ही चुपके से वार किया ,
फिर भी उन्नहि से बढ़ा रहे हम दोस्ती का हाँथ हैं !

इस देश को आज नेताओं ने शर्मसार कर डाला हैं  ,
ख़त्म करने के बदले दुश्मनों के सर पर उन्होंने हाँथ घुमाया हैं !
अपने इस करतूत पर हँस रहा वो पाकिस्तान ,
और रो रहा आज सारा हिंदुस्तान हैं !

Saturday 2 January 2016

जान में जान हैं जब तक संघर्ष चलता रहेगा

जान में जान हैं जब तक ,

संघर्ष चलता रहेगा !

रिश्ते हैं जब तक ,

अपनों से घाव मिलता रहेगा !

पीछे से भौंकने वालों कुत्तों को ,

पीछे ही छोड़ दो !

गर मंज़िल सहीं हैं आपकी तो ,

ग़ैरों का भी साथ मिलता रहेगा !

Friday 1 January 2016

उस राह से बर्बाद आ रहा हैं कोई

फक्र से प्यार की राह पे चले थे जो ,
उस राह से बर्बाद आ रहा हैं कोई !

प्यार के दरिया में जो तैरने चले थे  ,
उस दरियाँ से बे जान आ रहा हैं कोई !

अपना बनाकर यूँ लूटा हैं उसने ,
उस प्यार के नाम से डरा हूवा आ रहा हैं कोई !

प्यार के झाँसे में यूँ उलझा हैं कोई ,
के उनके दर से नाराज़ आ रहा हैं कोई !

बड़े बे आबारू होके उनके चौखट से निकले ,
के उस चौखट से तूफ़ान आ रहा हैं कोई !

हैं शोर दिल में के तूफ़ान आ रहा हैं कोई ,
के आँखो में लिए सैलाब आ रहा हैं कोई !

आज प्यार ने क्या क्या रंग दिखलाया ,
के उस रंग में भूचाल आ रहा हैं कोई !

सुना हैं प्यार तो खुदा का रूप हैं ,
के उस खुदा के दर से नाराज़ आ रहा हैं कोई !

चलना ही हैं ज़िन्दगी

एकता की क्या मिसाल देखी हमने ,

हमने किया सभी से प्यार !

और हमको न किया किसने प्यार ,

आज हुई सच्चे दोस्तों की पहचान !

चलना ही हैं ज़िंदगी ,

जो रुक गया वो थम गया !

हम तो राही हैं सफ़र के ,

गुज़र गए सो गुज़र गए !

एक हवा का झोखा हूँ ,

जो चला गया सो चला गया !

आँधी आए या तूफ़ान ,

अक्सर चला मैं सीना तान !





दिल में आ गई हों अब ख़्वाबों में भी आ जाओं

दिल में आ गई हों अब ख़्वाबों में भी आ जाओं ,
मेरे बिखरें ख़्वाबों को फिर आ कर सज़ा जाओं !

जब दिल से दिल मिल हीं गए तो ,
फिर मेरे जीवन को आ कर सज़ा जाओं !

माना दूर हो तुम दूर हैं हम फिर भी कितने पास हैं हम ,
हैं उलझन बड़ी आकर फिर मेरी उलझन सुलझा जाओं !

आओ मेरे टूटे अरमानो को फिर सँवार दो ,
हैं अँधियारा बड़ा बन के रौशनी तुम आ जाओं !

छूटा हाँथ मेरा तो फिर से उसे तुम थाम लो ,
इस भूले राही को आकर फिर राह दिखा जाओं !