Sunday 10 January 2016

कोई लड़ता हैं ज़मीन के लिए , कोई लड़ता हैं पैसों के लिए !

कोई लड़ता हैं ज़मीन के लिए ,
कोई लड़ता हैं पैसों के लिए !
अब देश पे आन पड़ी तो ,
सब मर मिटे हुस्न के लिए !
कोई लड़ रहा जात पात के लिए ,
कोई लड़ रहा भाषा के लिए !
जब माँ पे आन पड़ी तो ,
सब मर मिटे जायदाद के लिए !
कोई लड़ रहा मंदिर के लिए ,
कोई लड़ रहा मस्जिद के लिए !
सड़क पर बैठा वो भूखा बच्चा ,
मर गया एक निवाले के लिए !
भारत की देख ये दुर्दशा ,
मैं आज बहोत परेशान हूँ !
जों मर मिटे वतन के लिए ,
उनके ही बच्चे मोहताज हैं पाई पाई के लिए !

No comments:

Post a Comment