Friday 22 January 2016

घनघोर अँधेरा हैं

ग़मों का बादल और सुर्ख़ अँधेरा हैं ,
रुकना ना अभी घनघोर अँधेरा हैं !

यादों का बादल तूफ़ानो का संगम हैं ,
चलते चले चलों अभी घनघोर अँधेरा हैं !

ठेलम पे ठेला और रेलम पे रेला हैं ,
मैं मेरा साया और घनघोर अँधेरा हैं !

हर क़दम यहाँ काँटों का मेला हैं ,
सम्भल कर चल अभी घनघोर अँधेरा हैं !

मंज़िल तेरी अभी दूर नहीं पास हीं किनारा हैं ,
बढ़ते चले चलों अभी घनघोर अँधेरा हैं !

कोई न साथी कहीं न तेरा साया हैं ,
ज़िंदगी के पथ पर तू अकेला और घनघोर अँधेरा हैं !

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