Monday 30 April 2018

कब तक यूँ शायरियों में हाल बयाँ करे , कब तक लिखकर शायरियों में यूँ इकरार करे । आओ देखो मेरा हर नज़्म , तुमसे प्यार का इज़हार करे ।।

कब तक यूँ शायरियों में हाल बयाँ करे ,

कब तक लिखकर शायरियों में यूँ इकरार करे ।

आओ देखो मेरा हर नज़्म ,

तुमसे प्यार का इज़हार करे ।।

बेदर्दी से बहेनो की इज़्ज़त लूटती रही । दूर खड़ी सरकार , तमाशा देखती रही ।।

बेदर्दी से बहेनो की इज़्ज़त लूटती रही ।
दूर खड़ी सरकार , तमाशा देखती रही ।।

"घर" "स्कूल" "दफ्तरों" में नारिया सिसकती रहीं ।
हर युग में नारी जुल्म सहती रही ।।

कौन देगा सहारा जब घर मे हीं लुटेरे हैं ।
अपनो के ही हाथों ये बार बार मरती रही ।।

दहेज़ के नाम पर ये बिकती रहीं ।
सर दीवारों से ये रोज फोड़ती रहीं ।।

हैवानियत के जाल में फसती रहीं ।
कर भरोसा ये सदा ही रोती रहीं ।।