Friday 31 May 2019
Saturday 18 May 2019
Friday 17 May 2019
Tuesday 14 May 2019
Friday 10 May 2019
Thursday 9 May 2019
तुम ही ग़ज़ल मेरी तुम ही मेरी जाने बहार
Tuesday 7 May 2019
Monday 6 May 2019
चुरा लू तुझसे तुझको हो जो तेरी रज़ा
तू कहेर तू जहेर
तू लहेर तू डगर
तू हवा तू फ़िज़ा
तू धुँध तू ख़ीजा
चुरा लू तुझसे तुझको
हो जो तेरी रज़ा
बस तू और तेरी मुस्कान चाहिए
साथ तुझसा एक हमसफ़र चाहिए !
बस तू और तेरी मुस्कान चाहिए !!
हाथों में हाथ लिए बलखाती वो कमर चाहिए !!
जीने के लिए तेरे होंठो का रसपान चाहिए !
हो जहाँ तेरा साथ ऐसा एक डगर चाहिए !
तेरे साथ मुझे एक रास्ता अंजान चाहिए !!
जहाँ हो बस्ती प्यार की ऐसा एक नगर चाहिए !
मुझे तेरे क़दमों की पहचान चाहिए !!
हर सवालों का तेरी आँखों में एक जवाब होता हैं
तेरी आँखो में सदा एक ख़ुमार होता हैं !
हर सवालों का तेरी आँखों में एक जवाब होता हैं !!
मेरी आँखो में तेरा ही शुमार होता हैं !
देखने को तुझे ये नयन बेक़रार होता हैं !!
अंधेरे में एक जुगनू सा होता हैं !
तेरी आँखो से रोशन मेरा जहाँ होता हैं !!
मस्त मौसम सा मल्हार होता हैं !
तेरी आँखो में एक सैलाब होता हैं !!
क़रार में भी बेक़रार होता हैं !
तेरी आँखो का नशा दिल के आर पार होता हैं !!
हैं अभी दूर कारवाँ राही तू चलता चल
मंज़िल की हैं तलाश तो चलता चल !
हैं अभी दूर कारवाँ राही तू चलता चल !!
ठुकराना हैं आदत लोगों की तू संभलता चल !
आँसुओ को छुपाकर मुस्कान में मंज़िल की ओर बढ़ता चल !!
सुनकर ताने लोगों की तू निखरता चल !
बनकर दीपक तू अंधेरे को चिरता चल !!
बाटकर प्यार अपने घमंड को कुचलता चल !
लेकर आँसू तू हँसी देता चल !
कैसे कहूँ छुप छुप कर तेरा ही नाम लेता हूँ
कैसे कहूँ छुप छुप कर तेरा ही नाम लेता हूँ !
मैं जब भी होता हूँ तनहा तुझे ग़ज़ल बना लेता हूँ !!
बनाकर तुझे ग़ज़ल हर शब्दों में पिरो लेता हूँ !
मैं यूँही शब्दों में थोड़ा रो लेता हूँ !!
रो रो कर आँसुओ में तेरी तस्वीर बना लेता हूँ !
लगाकर गले उस तस्वीर को मैं भी थोड़ा जी लेता हूँ !!
जी कर तेरी यादों में ख़ुश हो लेता हूँ !
छुपाकर आँसुओं को ख़ुशी में मैं होंठों को सी लेता हूँ !!
तेरी आँखो को ख़ुशबू का बदन कहेता हूँ
तेरी आँखो पर एक ग़ज़ल कहेता हूँ !
सब को आए समझ , शायरी ऐसी सरल कहेता हूँ !!
न शराब न मयखना कहेता हूँ !
तेरी आँखो को नशे का सरताज कहेता हूँ !!
भेद सारे दिल के मैं रोज़ कहेता हूँ !
तेरी आँखो को मैं अपनी क़लम कहेता हूँ !!
भूल न पाओगी चंद कुछ ऐसे लफ़्ज़ कहेता हूँ !
तेरी आँखो को धरती का स्वर्ग कहेता हूँ !!
वो चाँदनी रात वो मस्तानी चाल कहेता हूँ !
तेरी आँखो को ख़ुशबू का बदन कहेता हूँ !!