Monday 6 May 2019

कैसे कहूँ छुप छुप कर तेरा ही नाम लेता हूँ

कैसे कहूँ छुप छुप कर तेरा ही नाम लेता हूँ !

मैं जब भी होता हूँ तनहा तुझे ग़ज़ल बना लेता हूँ !!


बनाकर तुझे ग़ज़ल हर शब्दों में पिरो लेता हूँ !

मैं यूँही शब्दों में थोड़ा रो लेता हूँ !!


रो रो कर आँसुओ में तेरी तस्वीर बना लेता हूँ !

लगाकर गले उस तस्वीर को मैं भी थोड़ा जी लेता हूँ !!


जी कर तेरी यादों में ख़ुश हो लेता हूँ !

छुपाकर आँसुओं को ख़ुशी में मैं होंठों को सी लेता हूँ !!

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