Friday 17 May 2019

वो चाँद मुझसे बहोत शरमाती हैं

मेरे आते ही छुप जाती हैं !
वो चाँद मुझसे बहोत शरमाती हैं !!

फिरती हैं चंचल हवाओं सी !
वो चाँद हमें बहोत भरमाती हैं !!

लहू बनकर छा जाती हैं नस नस में !!
वो चाँद मेरा ज़रा करामाती हैं !!

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