सुनो हमें तेरा प्यार नहीं , तेरा दर्द चाहिए !
जो रिश्ता कभी न टूटे ऐसा एक मर्ज़ चाहिए !!
तेरे आंसुओं में जी मर सकूँ !
बस मुझे ऐसा एक क़र्ज़ चाहिए !!
हक़ से जिसे मैं अपना कह सकूँ !
ऐसा एक फ़र्ज़ चाहिए !!
जो रिश्ता कभी न टूटे ऐसा एक मर्ज़ चाहिए !!
तेरे आंसुओं में जी मर सकूँ !
बस मुझे ऐसा एक क़र्ज़ चाहिए !!
हक़ से जिसे मैं अपना कह सकूँ !
ऐसा एक फ़र्ज़ चाहिए !!
न जाने क्यों अब तेरा ,
हर घड़ी इंतज़ार रहता हैं !
जानता हूँ तु पराई अमानत हैं ,
फिर भी ये दिल तेरे लिए बेक़रार रहता हैं !
ढूँढता हूँ जिस चाहत को ,
न जाने क्यों दिल वो तु ही हैं ये कहता हैं
खो न जाए इस दुनिया में फिर कहीं
बस यहीं मलाल रहता हैं
प्यार करना जुर्म हैं पराई अमानत से
इस लिए ये दिल ख़ामोश रहता हैं
पता हैं सारे बंधन , फिर भी न जाने क्यों
हर पल मेरे लबों पर इकरार रहता हैं
तुझसे बात नहीं होती क्या
रकख़ा हैं सम्भालकर तेरी यादों को
अब तो वहीं पर तेरी और मेरी मुलाक़ात होती हैं
दिल को सम्भाल लेता हूँ
जब जब तेरी सूरत आभास होती हैं
वैसे तो सारे लोग हैं साथ
पर एक तेरी कमी मुझे दिन रात होती हैं
हँस लेते हैं चंद पल तुम्हारी बातों में , यूँ तो दर्द बहोत हैं सिने में !!
हँसी मज़ाख की बातों से आवारा न समझो यारों !
नेक दिल इंसान हुँ , महक उठता हैं मेरा भी घर पसीने में !!
अकेला राहीं हुँ अपनी मंज़िल का , क्या हुवा जो कोई साथ नहीं !
और क्या कहूँ साथ मेरे बस , दो वक्त की रोटी और आँसू हैं पीने में !