Tuesday 18 January 2022

पराई अमानत

 न जाने क्यों अब तेरा ,

हर घड़ी इंतज़ार रहता हैं !

जानता हूँ तु पराई अमानत  हैं , 

फिर भी ये दिल तेरे लिए  बेक़रार रहता हैं !


ढूँढता हूँ जिस चाहत को ,

न जाने क्यों दिल वो तु ही हैं ये कहता हैं 

खो न जाए इस दुनिया में फिर कहीं 

बस यहीं मलाल रहता हैं 


प्यार करना जुर्म हैं पराई अमानत से 

इस लिए ये दिल ख़ामोश रहता हैं 

पता हैं सारे बंधन , फिर भी न जाने क्यों 

हर पल मेरे लबों पर इकरार रहता हैं 


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