Thursday 2 April 2020

आँखों मे ये खौफ़नाक मंज़र क्यूँ हैं

आँखों मे ये खौफ़नाक मंज़र क्यूँ हैं
पता नहीं इंसान इतना कंजर क्यूँ हैं

खुद बोता हैं बीज़ जहर के ,  फिर रोता क्यूँ हैं
काटकर पेड़ को ज़मी से कहता हैं ,  ये धरती बंज़र क्यूँ हैं
आँखों मे ये खौफ़नाक मंज़र क्यूँ हैं .......!!

कर के खिलवाड़ श्रीष्ठी से   , यूँ दुबकता क्यूँ हैं
कहता था तू  फर्क नहीं पड़ता , फिर लिए तूफान अंदर क्यों हैं
आँखों मे ये खौफ़नाक मंज़र क्यूँ हैं .......!!

हद से ज्यादा प्यार नहीं  , तो  हद से ज्यादा ये नफरत क्यूँ हैं
खुद छोड़े तूने तेरे सारे रास्ते ,  फिर लिए खड़ा समंदर क्यूँ हैं
आँखों मे ये खौफ़नाक मंज़र क्यूँ हैं.......!!