Friday 27 November 2015

एक छोटी से बात पर , साथ उनका छूट गया !

चुपके से वो ,
दिल में आ गाईं !
आकर मेरे धड़कन में ,
वो समा गाईं !
फिर न जाने क्या हूवा ,
ये मुझे याद नहीं !
वो रूठी या ,
मेरा हाँथ छूट गया !
इस प्यार की राह में ,
कौन कब रूठ गया !
बस एक धुँधली सी ,
याद हैं उसकी !
एक छोटी सी बात पर ,
साथ उनका छूट गया !

आ मेरे पास ज़रा

तेरे इन गेसुओ को ,
आज मैं सँवार दूँ !
तेरे होंठों की लाली को ,
आ मैं और निखार दूँ !
बहोत तड़पाती हो हमको ,
अपने इन नैनो से ,
आ मेरे जीवन में ,
तेरी माँग मैं सवार दूँ !
आ मेरे पास ज़रा ,
होंठों से होंठ मिला दूँ !
एक प्यार भरा जाम आज ,
मैं तुझे भी पिला दूँ !
हम तो कब से तड़प रहे ,
आ मुझे तू सवार दे !
निखर जाए बदन तेरा ,
आ मैं आज तुझे तराश दूँ !

Thursday 26 November 2015

सच की राह

रिश्तों के दिए ज़ख़्म ,
कभी भरते नहीं !
जो बिछड़ जाते हैं वो ,
फिर कभी मिलते नहीं !

मंज़िल मिले या ना मिले ,
सच के राह चलता जा !
धूल जमी जो आँखो में ,
उस धूल को हटाते जा !

जो दो दिल मिले नहीं ,
उस प्यार को मिलाता जा !
आँधियों और तूफ़ान से ,
बस तू टकराता जा !

समय नहीं अभी ठहरने का ,
हौसलों की उड़ान भरता जा !
मिले न राह तो क्या ,
पर्वतों से तू टकराता जा !

ये नहीं तेरी हार हैं ,
अभी तो बस सुरूवात हैं !
मिले जो राह में दुश्मन तो ,
उसे भी प्यार करना सिखलाता जा !

तेरे होंठों पर ये तिल

तेरे होंठों पर ये तिल एक पैग़ाम सा हैं ,

तेरी सुंदरता का ये पहचान सा हैं !

उस क़ुदरत का करिश्मा ,

बिन बोले हर बातों का जवाब सा हैं !

तेरी सुंदरता का ताज ये हैं ,

एक धधकता आग सा हैं !

बिन पिए ही जो बहेका दे ,

उस नशीली शराब सा हैं !

तेरी मुस्कान का राज ये हैं ,

तेरी पवित्रता का पहचान ये हैं !

दुनिया की बुरी नज़र से जो बचाले ,

उस माँ का कला टिका ये हैं !

प्यासे को पानी दो पंछी को दो दाना , भटकों को राह दिखा दो न यूँ तुम नींद भर सोना !

सच बोलिए पर न बोलिए कभी झूँठ ,
एक पैसे के ख़ातिर न फैलाओ झूँठ चहुओर !

सच्चा बनिए पर न बनिए चुग़ल ख़ोर  ,
एक पैसे के ख़ातिर न फैलाओ झूँठ चहुओर !

साया बनो प्यार का न दुश्मन बनाओ चहुँओर ,
छाया दो रही को न भटकाओ उसे कहीं ओर !

प्यासे को पानी दो भूखे को दो खाना ,
मंज़िल तेरी दूर बहोत हैं कही तू ठहर न जाना !

राहों में काँटे हैं ज़रा बच के तू चलना ,
हैं घनघोर अंधेरा ज़रा सम्भल कर रहना !

ख़ुशियों की तलाश में मैं भटकती रहे गई , मिली न ख़ुशी तो तन्हाई बटोरती रहे गई !

एक पल का भी प्यार तूने दिया नहीं ज़िंदगी ,
मैं बहोत सोई तुझसे बिछड़ने के बाद !

होता हैं क्या जीना मरना कोई तो बता दे ,
मिला न जवाब मैं सब से पूछती रहे गई !

ख़ुशियों की तलाश में मैं भटकती रहे गई ,
मिली न ख़ुशी तो तन्हाई बटोरती रहे गई !

इस जहाँ में कठपुतली बन कर रहे गई ,
ज़ालिम समाज की बस प्यास बनकर रहे गई !

आज हर नारी की बस यहीं हैं कहानी ,
लोगों के आँखो की वो भूख बनकर रहे गई !

ये नींद कब टूटे गी क्या ख़बर ,
मैं बस प्यार की चाह में तरसती रहे गई !

ये क़लम

ये मेरी क़लम नहीं ,
तेरा ही एक रूप हैं !
इस स्याही के रूप में ,
तेरी आँखों का हर बूँद हैं !

लिख रहा हूँ जो आज मैं ,
तेरे हर सितम का जवाब हैं !
तू नहीं तो ये क़लम ही आज ,
ले रही सब का इम्तिहान हैं !

बोल रही जो क़लम मेरी ,
तेरे ही दर्द का एक साया हैं !
बता रहीं इस ज़माने ने ,
कैसे कैसे तुमपर सितम ढाया हैं !

मेरे क़लम को दोष न देना ,
दोष ये तेरी आँखों का हैं !
इसने तो लिखा बस वहीं ,
जो दिखा तेरी आँखों में हैं !

दिल का ये खेल ,
क़लम तक पहुँच जाता हैं !
बिन बोले ही कुछ ,
काग़ज़ पर उतर आता हैं !

ये क़लम हैं मेरी प्रियतमा ,
ये काग़ज़ हैं मेरी साँसें !
कभी न जुदा करना मुझसे ,
अब तूही हैं ज़िन्दगी मेरी !

हर हुस्न के अलग अलग जलवे हैं

गोरी भी देखा काली भी देखा ,
मोटी भी देखा पतली भी देखा !
पंचरत्नो की तरह मैंने ,
सब का अलग अलग मज़ा देखा !

हर हुस्न के अलग अलग जलवे हैं ,
उनके नख़रे उनके तेवर हैं !
मुझको भी प्यार हैं उनसे ,
कभी तो आए वो मेरे जीवन में !

मैं एक प्यासा हूँ हुस्न का ,
तू हैं एक हुस्न का दरियाँ !
मेरी प्यास जो बुझा सके ,
तू वहीं हैं मेरी नदियाँ !

कबसे मैं तेरी राह देख रहा हूँ ,
अब तो मेरी प्यास बुझा दे !
कबसे मैं बहेक चुका हूँ ,
अब तो तू राह दिखा दे !

याद फिर वहीं चेहरा धुँधला सा आया हैं

मौसम यें दिवाना हैं ,
हो रहा मतवाला हैं !
ऐसे में याद फिर वहीं ,
चेहरा धुँधला सा आया हैं !

ये दिलकश नज़ारे हैं ,
ये वादियाँ ये चाँद तारे हैं !
फिर वहीं झलक हमें ,
इस मौसम ने दिखलाया हैं !

इस रात की चादर में ,
लिपटीं एक तन्हाई हैं !
तू नहीं आइ तो ,
तेरी याद ही चली आइ हैं !

तेरी याद के साथ साथ ,
एक उलझन आन पड़ी हैं !
रातों को नींद नहीं ,
दिन में भी चैन ले जाती हैं !

सपनों में तो आती हो ,
हक़ीक़त में चली आओ !
बड़ी बेरंग हैं ये ज़िंदगी ,
आकर कुछ रंग भर जाओ !

इस दुनिया में मेरा कोई नहीं ,
तुझसे ही हैं आस बड़ी !
यूँही चाहती रहना ,
तेरी चाहत ही में हैं मेरी जान बसी !

झूँठ के इस दल दल में , सच की राह नज़र नहीं आती !

झूँठ के इस दल दल में ,
सच की राह नज़र नहीं आती !
कल जो साथ चलते थे ,
आज वो कहीं नज़र नहीं आती !

दूसरों के बाहों में लिपटी हैं वो ,
फिर भी उन्हें शर्म नहीं आती !
प्यार के इस राह में ,
अब कोई मंज़िल नज़र नहीं आती !

कोई उम्मीद नहीं अब ,
कोई राह नज़र नहीं आती !
घोर अंधियारा हैं ,
कोई साथ नज़र नहीं आता !

कल जिन्हें आती थी हमपर हँसी , 
आज उनको हमपर हँसी नहीं आती !
सोया नहीं कई रोज़ से मैं ,
फिर हमें आज नींद क्यों नहीं आती !

माना मुक़्क़र्र हैं मौत का एक दिन ,
फिर जीने की राह नज़र क्यों नहीं आती !
थक गया हू इस जीवन से ,
अब हमें चिर निद्रा क्यों नहीं आती !

तू ही राम तू ही रहीम , तू ही ख्वाजा तू ही पीर !

दुनिया के इस झमेले से ,

तू ही हमें बचाने वाला !

तूही राह भटकाने वाला ,

तूही राह दिखाने वाला !

तू ही राम तू ही रहीम ,

तू ही ख्वाजा तू ही पीर !

तूही ख़्वाब तूही हक़ीक़त ,

तू ही रांझा तू ही हीर !

तू ही साई तू ही फ़क़ीर ,

तू ही अल्लाह तू ही पैग़म्बिर !

जिस रूप में चाहों तुम ,

आए नज़र उसी रूप में फिर !

तू ही कृष्णा तू ही राधा ,

तू ही बाल गोपाल तू ही सुदामा !

इस झूठी दुनिया में ,

तू ही सच्चा राह दिखाने वाला !

जीवन की भूल भुलैया

सच्चाई की राह चलते ,
अब कोई नज़र नहीं आता !
घोर अँधियारे बड़ा ,
कहीं रोशनी नज़र नहीं आता !

दीप जलाए खड़ा हूँ ,
कोई राह नज़र नहीं आता !
साया भी अब साथ छोड़ने लगा ,
तो वो अंतिम घड़ी नज़र क्यों नहीं आता !

आज इंसान यहाँ ,
इंसान के काम नहीं आता !
पड़े मुश्किल में जो ,
कोई किनारा नज़र नहीं आता !

कहाँ जाऊँ किसे पुकारू ,
कोई हमराज़ नज़र नहीं आता !
जीवन की भूल भुलैया में ,
कोई खेवैया नज़र नहीं आता !

तनहा ही चला मैं , न कोई साथ साथी नज़र आया !

जिनके प्यार में हम ,
सुबह शाम बिखर आए !
आज प्यार की राह में ,
वही हमें अकेला छोड़ आए ,

उनके रूप पर नहीं ,
उनके दिल पर मरता आया !
प्यार की बाज़ार में ,
मैंने सभी को बिकता पाया !

कोई किसी के साथ नहीं ,
हर इंसा तनहा नज़र आया !
सच ढूँढने चाल तो ,
हर दामन दाग़ दाग़ नज़र आया !

न तन काम आया ,
न धन काम आया !
मेरी बेबसी पर ,
तेरा मुस्कुराना याद आया !

लगी जब प्यास तो ,
न कही पानी नज़र आया !
न कोई राज़दार ,
न कोई हमराज़ नज़र आया !

तनहा ही चला मैं ,
न कोई साथ साथी नज़र आया !
मेरे इस तबाही में ,
सारा ज़माना साथ नज़र आया !

आज तुझमें खो जाने की रात हैं

तन से तन की प्यास हैं ,
तुझमें खो जाने की रात हैं !
मोहब्बत के इस खेल में ,
आज सब कुछ हार जाने की रात हैं !

होंठों पे जो प्यास जगी हैं ,
आज उसे बुझाने की रात हैं !
प्यार के इस पल में ,
आज फिर खो जाने की रात हैं !

तुझमें हैं इतना नशा ,
बिन पिए बहेकना आज हैं !
न तुम तुम रहो न हम हम रहे ,
आज एक दूसरे में समाने की रात हैं !

और पास आ ज़रा सनम के ,
कुछ कहेने सुनने की रात हैं !
मायकदे की क्या ज़रूरत ,
तेरा तन ख़ुद शराब का प्याला हैं !

होंठों का रस आज ,
पीने पिलाने की रात हैं !
खोल दो सारे बंधन ,
आज देखने दिखाने की रात हैं !

इस अँधियारे में दीपक सा ,
चमक रहा तेरा तन हैं !
बिजली की नहीं ज़रूरत ,
आज सारे बंधन तोड़ने की रात हैं !

आज मैंने मेरे खुदा को , मेरे लिए तरसते देखा !

मंदिर मंदिर मैंने देखा ,
हर गली कूचे मे देखा !
जब भुख सताया तो ,
सभी को मुँह फेरते देखा !

हर रिश्ता टूटते देखा ,
हर ख़्वाब सिमटते देखा !
मैंने आज पंछी को ,
एक घोंसले के लिए तरसते देखा !

लहेरो को किनारे से लड़ते देखा ,
साहिलो को मंज़िल के लिए तरसते देखा !
जब बात चली महफ़िल में मेरी तो ,
सभी को आज मुँह फेरते देखा !

रात को मचलते देखा ,
दिन को तरसते देखा !
मैंने अपने साये को ,
पल पल मुझसे बिछड़ते देखा !
  
मौत को पास आते देखा ,
ज़िंदगी को बिछड़ते देखा !
आज मैंने मेरे खुदा को ,
मेरे लिए तरसते देखा !

चिर निद्रा

गर्दिश में जब हो जाएँगे ,
सपनों के दुनिया में खो जाएँगे !
होगी सारी यही दुनिया ,
बस हम तुम सो जाएँगे !

कोई लाख जगाले हमें  ,
मैं फिर न आ पाउँगा !
अब के जो सोया तो ,
फिर कभी न उठ पाउँगा !

ज़िंदगी भर जो सोने कीं ,
कोशिश की थी मैंने !
आज आइ हैं चिर निद्रा ,
मुझे तू फिर न जगाना !

ज़िंदगी भर जिस मंज़िल के पीछे चला ,
क्या पता था वो कहा था !
आज आइ जब मौत गले मिलने ,
तब पता चला वो मंज़िल यही था !

भरते थे जो दम दोस्ती का , आज सामने उनकी औक़ात आ गई !

भरते थे जो दम दोस्ती का ,

आज सामने उनकी औक़ात आ गई !

मेरी इस तन्हाई में बस आज ,

तू और तेरी मुस्कान याद आ गई !

न सावन आया न बदली छाई ,

फिर कैसे ये बात हो गई !

आज भरी महफ़िल में ,

आँसू वो की बरसात हो गई !

कोई पत्ता साबुत बचा नहीं शाखाओं में ,

कुछ यूँ उनकी हमसे बात हो गई !

हमको मेरे हम ने लूटा ,

कहा उनकी इतनी औक़ात हो गई !

नदी नाले मिलने को तरसते हैं ,

कहा इतनी आज बरसात हो गई !

मैं तो ख़ुद डूबा अपने ही आँसू वो में ,

कहा समुन्दर की इतनी औक़ात हो गई !

ट्रेन का सफ़र

ट्रेन के सफ़र में ,
आधी ज़िंदगी गुज़र गई !
फिर भी लगता हैं रोज़ ,
नई ज़िंदगी सुरु हो गई !

रोज़ यहाँ ठेलम पे ठेला ,
मौत का एक नया मेला !
सफ़र हैं रोज़ नया फिर भी लगता हैं ,
जैसे ज़िंदगी यहीं ठहरा !

इसने धक्का मारा उसने धक्का मारा ,
न जाने क्यूँ किसने धक्का मारा !
उनकी तो मज़ा थी गेट पर ,
हमको तो बे मौत धक्के ने मार !

जो बोला यहाँ से किसी ने ,
तो वहाँ से चार हाँथ पड़ गए !
बड़ी एकता देखी मैंने ,
बेक़सूरों को पिटने में !

इंसानियत की रोज़ यहाँ ,
धज्जियाँ उड़ रहीं !
वो संस्कार वो भारत की गाथा ,
बस किताबों तक रहें गई !

हुस्न और प्यादा

तुम एक हुस्न परी हो ,
मैं हु एक प्यादा !
अब करना हैं जो करले ,
बाट लेंगे ग़म आधा आधा !

दिल ने छेड़ा तराना ,
मौसम ने नग़मा गाया !
अब के गले लिपटकर तूने ,
नस नस में जोस जगाया !

शोला बनकर इस मन को ,
तूने बहोत जलाया !
थोड़ा थोड़ा सा फूँक लगाकर ,
तूने चिंगारी से आग बनाया !

तमन्ना ओ की महफ़िल सज़ा रहीं हों ,
हमें अपने पास बुला रहीं हों !
क्या जादू हैं तेरे इस नैनो में ,
तुम दूर से मुझे पास बुला रहीं हों !

पास गर आ गया तो दूर न जा सकूँगा ,
तेरे हुस्न के जलवों में मैं फाँसता रहूँगा !
बनकर भोली भाली तुम मुझे फँसा रहीं हो ,
इस हुस्न के दल दल में तुम मुझे फँसा रहीं हो !

मेरे दिल की आज हसरत पूरी हो गई , मैं बेवफ़ा और वो वफ़ादार बन गई !

मेरे दिल की आज हसरत पूरी हो गई ,
मैं बेवफ़ा और वो वफ़ादार बन गई !

बे सुमार प्यार का ये सिला मिला ,
हर क़दम तुमसे दग़ा मिला !

पलकों पर बिठाया था शायद उसी का सिला मिला ,
चाहा जिसे भी उसिसे दग़ा मिला !

मेरी वफ़ा का तूने ख़ूब सिला दिया ,
बनकर मेरा तूने मुझको ही बर्बाद किया !

तू मेरे जीने की वजह बन गई ,
शायद वहीं वजह मौत की सज़ा बन गई !

देख के इन हुस्न को कहीं तुम भटक न जाना ,
देती हैं क़दम क़दम पर दग़ा ज़रा तुम सम्भल जाना !

कभी मंज़िल बदल गई , कभी तू बदल गई !

कभी मंज़िल बदल गई ,

कभी तू बदल गई !

मैं जब चला तेरी गली ,

मेरी हर राह बदल गई !

माना मैं बहोत बुरा हु ,

पर बंदा बड़ा ही नेक हु !

थोड़ा नादान थोड़ा शैतान ,

पर सदा ही अपनो पे मारा हु !

ये दिल धड़कता हैं तेरे लिए ,

मैं हर जनम लेता हु तेरे लिए !

तू माने या ना माने सनम ,

मैं ज़िंदा हु तो बस तेरे लिए !

तू जो रूठकर चली गई तो ,

चला जाऊँगा ये जग छोड़कर !

रहना तू ख़ुशहाल सदा ,

मैं चला तेरी ये मुस्कान लेकर !

प्यास और बेवफ़ाई

देख के मेरे इस बदन को ,

तू हूवा मेरा दीवाना !

ये उभरे निप्पल मेरे ,

पल पल हैं तुझको तड़पाते !

तू जब भी देखे मेरे गाँड़ को ,

तू हो जाए दीवाना !

इस रात के अँधियारे में ,

चमके बदन मेरा हीरे सा !

जितनी पास आती हूँ ,

उतनी ही प्यास जगाती हूँ !

इन नज़रो से तुमको ,

मैं बहोत तरसाती हूँ !

फिर तड़प तड़प कर तुम ,

मुझे बाँहों में उठाते हो !

उठाकर बाँहों में मुझे ,

तुम रोम रोम जगाते हो !

लाकर किनारे पर मुझे ,

तुम अक्सर साथ छोड़ जाते हो !

जगाकर मेरे अगन को ,

तुम मुझे बहोत तड़पाते हों !

लगाकर आग मेरे तन में ,

तुम मुझे छोड़ जाते हो !

फिर क्यूँ न करूँ मैं बेवफ़ाई सनम ,

तुम मुझे प्यासा ही छोड़ जाते हो !

अब कहाँ राम मिलते हैं

पहले थे एक ही रावण ,

आज हर गली में यें बसते हैं !

तुम ही बताओ भैया ,

अब कहाँ राम मिलते हैं !

पहले थी वो पवित्र सीता ,

आज कहा वो नारी हैं !

जिसे बचाने राम आए ,

कहा वो नर नारी हैं !

भाई भाई में तब प्यार था ,

अपनो पे तब विश्वास था !

आज हर आदमी बना भिभीषण ,

और हर नारी में महंतरा हैं !

Wednesday 25 November 2015

सर्द भरा मौसम

सर्दी आइ सर्दी आइ ,
रंग ज़माने सर्दी आइ !
नस नस में सिहरन भरने ,
लो फिर सर्दी आइ !

नहीं तुम बैठो यारों ,
उठो दौड़ो भागो यारों !
नए गरम कपड़े ,
झट पट संग लाओ यारों !

इस सर्दी में सब ठिठुरे ,
सब का जीना बेहाल हैं !
जहा देखो वही सब ,
जलाए लकड़ी सब साथ हैं !

दिन भी ठिठुरे चला जल्दी ,
आइ धीरे धीरे अब रात हैं !
मौसम ने भी रंग बदला ,
कोहरा छाया चारों और हैं !

सर्द भरें कोहरे में ओढ़े कंबल ,
साथ एक गरम चाय का प्याला हैं !
और साथ यादें किसी की ,
और आहें भरती राते हैं !

रात बीती फिर दिन आया ,
फिर सूरज ने बाँह फैलाया !
ठंड से बचने के लिए ,
संग थोड़ी सी धूप लाया !

ठंड के मारे सब ठिठुरते ,
मुँह से निकलते भाफ हैं !
धूप से भागने वाले भी ,
धूप से करने लगे प्यार हैं !

दो दिल धड़के ठंड में ,
बाहों में सिमटता प्यार हैं !
इस सर्द के मौसम में ,
बाँहों में सबके यार हैं !

सर्द भरा मौसम प्यार का ,
मिलते सारे प्यार हैं !
पर सर्द भरे मौसम में ,
पंछीयो का हाल बड़ा बेहाल हैं !

Saturday 21 November 2015

तलाश

मैं आया ख़ुद की तलाश में ,

पर गुम हु तेरी तलाश में !

मिल जाए खुदा तो ऊससे पूछूँ ,

कहा हैं वो आया मैं जिसकी तलाश में !

जो अब तक मिला नहीं ,

निकला हु बस उसी तलाश में !

बीत रही हैं शाम ज़िंदगी की ,

बस तेरी तलाश में !

अब तक तो वो मिली नहीं ,

निकला हूँ जिस मंज़िल की तलाश में !

अब के साल कुछ ऐसा हो जाए ,

मंज़िल निकले मेरी तलाश पर !

Writer :- ॐTiwari

Friday 13 November 2015

आप आज की बातें करते हैं , और हम कल में जीते मरते हैं !

आप आज की बातें करते हैं ,

और हम कल में जीते मरते हैं !

भूत क्या भविष्य क्या ,

आपका सब उज्जवल हो जाए !

न आए कभी ग़म का साया ,

रहे सदा तुम पर ख़ुशियों का छाया !

एक आँसु भी जो टपके तो ,

वो गिरकर हीरा मोती बन जाए !

इस साल में कुछ हो ऐसा ,

आप पत्थर से पारस बन जाए !

फूलों की गुड़िया आफत की पुड़िया

दिखती हों तुम फूलों की गुड़िया ,
पर हो तुम एक आफत की पुड़िया !
मधु जैसा हैं हुस्न तुम्हारा ,
पर दिमाग से थोड़ा पैदल हो !

दिल्लगी के नाम पर तुम ,
सदा ही खुर्चालिया करती हो !
प्यार जताकर सदा ही तुम ,
सबका दिल तोड़ती हो !

चलती हो जब यूँ बलखाकर ,
कितनो को मार गिराती हो !
अपने इन्ही अदाओं से ,
तुम सबपर बिजली गिराती हों !

अपने इस नैनो की जाल से ,
प्रेम जाल बिछाती हो !
फिर थोड़ा सा पास बुलाकर ,
सदा ही सब को ठगती हो !

भोली भाली सूरत हैं तेरी ,
पर बड़ी शरारत करती हो !
मस्ती में तुम बिलकुल ,
सबकी नानी लगती हो !

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना
रहेना तुम सदा आबाद
हम तो राही हैं सफर के
रहेंगे यूँही सदा बर्बाद

बार बार ना हम आएंगे
ना करिए यूँ इंकार
इस बार जो चले गए हम
आएंगे बस तुम्हें हम याद

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

फिर ना नज़र आएंगे हम
ना होगा फिर मेरा दिदार
अब के जो मुँह मोड़ा तो
फिर ना मुड़कर आएंगे इस बार

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

दिन रात तड़पोगी हम बिन
तड़पोगी करवट बदल कर हर बार
अब के सावन जो आया तो
आएंगे हम भी तुम्हे याद

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

ख्वाबों में सताएंगे तुम्हे आकर
बेचैन हो जाओगी अब के बार
चैन ना पाओगी एक पल का
इतना याद आएंगे बार बार

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

दिल को मेरे जो तोडा तुमने
तोडा तुमने अपना ही भाग्य
आज तो मुँह फेरकर चली गई
क्या होगा कल तेरा मेरे बाद

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना
रहेना तुम सदा आबाद
हम तो राही हैं सफर के
रहेंगे यूँही सदा बर्बाद

बार बार ना हम आएंगे
ना करिए यूँ इंकार
इस बार जो चले गए हम
आएंगे बस तुम्हें हम याद

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

फिर ना नज़र आएंगे हम
ना होगा फिर मेरा दिदार
अब के जो मुँह मोड़ा तो
फिर ना मुड़कर आएंगे इस बार

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

दिन रात तड़पोगी हम बिन
तड़पोगी करवट बदल कर हर बार
अब के सावन जो आया तो
आएंगे हम भी तुम्हे याद

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

ख्वाबों में सताएंगे तुम्हे आकर
बेचैन हो जाओगी अब के बार
चैन ना पाओगी एक पल का
इतना याद आएंगे बार बार

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

दिल को मेरे जो तोडा तुमने
तोडा तुमने अपना ही भाग्य
आज तो मुँह फेरकर चली गई
क्या होगा कल तेरा मेरे बाद

खुश रहेना तुम जहा भी रहेना....!

कल तक थे तेरे जो साथी आज वहीँ तेरे दुश्मन हैं , आँखे खोल के देख जरा तेरे अपने ही तेरे दुश्मन हैं !

सच्चा बनिए पर न बनिए चुग़ल ख़ोर  ,
एक पैसे के ख़ातिर न फैलाओ झूँठ चहुओर !

सच बोलिए पर न बोलिए कभी झूँठ ,
ईश्वर का अंश हो बनो सच का ज्योत !

साया बनकर प्यार का चमको चहुओर ,
छाया दो रही को न भटकाओ उसे कहीं और !

प्यासे को पानी दो पंछी को दो दाना ,
भटकों को राह दिखा दो न यूँ तुम नींद भर सोना !

राहों में काँटे हैं बहोत ज़रा बच के तुम चलना ,
आने वाला हैं तूफान बड़ा जरा डट के तुम रहेना !

कल तक थे तेरे जो साथी आज वहीँ तेरे दुश्मन हैं ,
आँखे खोल के देख जरा तेरे अपने ही तेरे दुश्मन हैं !

Tuesday 10 November 2015

प्रेम की दिवाली

न पटाखों का शोर न कहीं हुड़दंग हों ,
दो दिलो के मिलन का ये त्योहार हों !

दिल से दिवाली हों न नफ़रत की बात हों ,
जो बिछड़े अपनों से वो सदा एक साथ हों !

प्यार की बात हों ख़ुशियों की फुहार हों ,
हर दिल में प्यार की बरसात हों !

क्रोध लोभ मोह माया सभी कोसो दूर हों ,
घर घर में लक्ष्मी जी का वास हों !

दुश्मनों के चाल से दुश्मन का ही मात हों ,
अपने इस जहाँ में सभी सच्चे इंसान हों !

बुराइयाँ दीप में जलकर उड़न छू हों ,
चरो तरफ़ सच्चाई की ज्योत जगमग हों !

     WRITER:- ॐTiwari