Thursday 26 November 2015

तनहा ही चला मैं , न कोई साथ साथी नज़र आया !

जिनके प्यार में हम ,
सुबह शाम बिखर आए !
आज प्यार की राह में ,
वही हमें अकेला छोड़ आए ,

उनके रूप पर नहीं ,
उनके दिल पर मरता आया !
प्यार की बाज़ार में ,
मैंने सभी को बिकता पाया !

कोई किसी के साथ नहीं ,
हर इंसा तनहा नज़र आया !
सच ढूँढने चाल तो ,
हर दामन दाग़ दाग़ नज़र आया !

न तन काम आया ,
न धन काम आया !
मेरी बेबसी पर ,
तेरा मुस्कुराना याद आया !

लगी जब प्यास तो ,
न कही पानी नज़र आया !
न कोई राज़दार ,
न कोई हमराज़ नज़र आया !

तनहा ही चला मैं ,
न कोई साथ साथी नज़र आया !
मेरे इस तबाही में ,
सारा ज़माना साथ नज़र आया !

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