देख के मेरे इस बदन को ,
तू हूवा मेरा दीवाना !
ये उभरे निप्पल मेरे ,
पल पल हैं तुझको तड़पाते !
तू जब भी देखे मेरे गाँड़ को ,
तू हो जाए दीवाना !
इस रात के अँधियारे में ,
चमके बदन मेरा हीरे सा !
जितनी पास आती हूँ ,
उतनी ही प्यास जगाती हूँ !
इन नज़रो से तुमको ,
मैं बहोत तरसाती हूँ !
फिर तड़प तड़प कर तुम ,
मुझे बाँहों में उठाते हो !
उठाकर बाँहों में मुझे ,
तुम रोम रोम जगाते हो !
लाकर किनारे पर मुझे ,
तुम अक्सर साथ छोड़ जाते हो !
जगाकर मेरे अगन को ,
तुम मुझे बहोत तड़पाते हों !
लगाकर आग मेरे तन में ,
तुम मुझे छोड़ जाते हो !
फिर क्यूँ न करूँ मैं बेवफ़ाई सनम ,
तुम मुझे प्यासा ही छोड़ जाते हो !
No comments:
Post a Comment