सच बोलिए पर न बोलिए कभी झूँठ ,
एक पैसे के ख़ातिर न फैलाओ झूँठ चहुओर !
सच्चा बनिए पर न बनिए चुग़ल ख़ोर ,
एक पैसे के ख़ातिर न फैलाओ झूँठ चहुओर !
साया बनो प्यार का न दुश्मन बनाओ चहुँओर ,
छाया दो रही को न भटकाओ उसे कहीं ओर !
प्यासे को पानी दो भूखे को दो खाना ,
मंज़िल तेरी दूर बहोत हैं कही तू ठहर न जाना !
राहों में काँटे हैं ज़रा बच के तू चलना ,
हैं घनघोर अंधेरा ज़रा सम्भल कर रहना !
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