रंग ज़माने सर्दी आइ !
नस नस में सिहरन भरने ,
लो फिर सर्दी आइ !
नहीं तुम बैठो यारों ,
उठो दौड़ो भागो यारों !
नए गरम कपड़े ,
झट पट संग लाओ यारों !
इस सर्दी में सब ठिठुरे ,
सब का जीना बेहाल हैं !
जहा देखो वही सब ,
जलाए लकड़ी सब साथ हैं !
दिन भी ठिठुरे चला जल्दी ,
आइ धीरे धीरे अब रात हैं !
मौसम ने भी रंग बदला ,
कोहरा छाया चारों और हैं !
सर्द भरें कोहरे में ओढ़े कंबल ,
साथ एक गरम चाय का प्याला हैं !
और साथ यादें किसी की ,
और आहें भरती राते हैं !
रात बीती फिर दिन आया ,
फिर सूरज ने बाँह फैलाया !
ठंड से बचने के लिए ,
संग थोड़ी सी धूप लाया !
ठंड के मारे सब ठिठुरते ,
मुँह से निकलते भाफ हैं !
धूप से भागने वाले भी ,
धूप से करने लगे प्यार हैं !
दो दिल धड़के ठंड में ,
बाहों में सिमटता प्यार हैं !
इस सर्द के मौसम में ,
बाँहों में सबके यार हैं !
सर्द भरा मौसम प्यार का ,
मिलते सारे प्यार हैं !
पर सर्द भरे मौसम में ,
पंछीयो का हाल बड़ा बेहाल हैं !
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