Wednesday 4 November 2015

दुनियाँ से अलग अपनी कहानियाँ हैं

दुनियाँ से अलग अपनी कहानियाँ हैं ,
हर राह में बस तेरी मेरी नादानियाँ हैं !

जो अपने मिला करते थे रातों के साये में हमको ,
कहाँ दिन में उनकी दिखती परछाइयाँ हैं !

तू कहाँ कहाँ ये हसीन वादियाँ हैं ,
क्या करे हम सनम कहाँ तेरी निशानियाँ हैं !

बिन तेरे मुझे चैन मिलता नहीं ,
कहाँ तेरी वो रवनिया हैं !

कहा जाऊँ कहा नहीं कहा तेरी परछाइयाँ हैं ,
हर तरफ़ बिछी हुई मेरी बर्बादिया हैं !

कोई भी कसर तूने छोड़ा नहीं ज़िंदगी ,
कहाँ वो मेरी अब निशानियाँ हैं !

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