मेरे दिल की आज हसरत पूरी हो गई ,
मैं बेवफ़ा और वो वफ़ादार बन गई !
बे सुमार प्यार का ये सिला मिला ,
हर क़दम तुमसे दग़ा मिला !
पलकों पर बिठाया था शायद उसी का सिला मिला ,
चाहा जिसे भी उसिसे दग़ा मिला !
मेरी वफ़ा का तूने ख़ूब सिला दिया ,
बनकर मेरा तूने मुझको ही बर्बाद किया !
तू मेरे जीने की वजह बन गई ,
शायद वहीं वजह मौत की सज़ा बन गई !
देख के इन हुस्न को कहीं तुम भटक न जाना ,
देती हैं क़दम क़दम पर दग़ा ज़रा तुम सम्भल जाना !
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