Thursday 26 November 2015

याद फिर वहीं चेहरा धुँधला सा आया हैं

मौसम यें दिवाना हैं ,
हो रहा मतवाला हैं !
ऐसे में याद फिर वहीं ,
चेहरा धुँधला सा आया हैं !

ये दिलकश नज़ारे हैं ,
ये वादियाँ ये चाँद तारे हैं !
फिर वहीं झलक हमें ,
इस मौसम ने दिखलाया हैं !

इस रात की चादर में ,
लिपटीं एक तन्हाई हैं !
तू नहीं आइ तो ,
तेरी याद ही चली आइ हैं !

तेरी याद के साथ साथ ,
एक उलझन आन पड़ी हैं !
रातों को नींद नहीं ,
दिन में भी चैन ले जाती हैं !

सपनों में तो आती हो ,
हक़ीक़त में चली आओ !
बड़ी बेरंग हैं ये ज़िंदगी ,
आकर कुछ रंग भर जाओ !

इस दुनिया में मेरा कोई नहीं ,
तुझसे ही हैं आस बड़ी !
यूँही चाहती रहना ,
तेरी चाहत ही में हैं मेरी जान बसी !

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