Thursday 26 November 2015

आज तुझमें खो जाने की रात हैं

तन से तन की प्यास हैं ,
तुझमें खो जाने की रात हैं !
मोहब्बत के इस खेल में ,
आज सब कुछ हार जाने की रात हैं !

होंठों पे जो प्यास जगी हैं ,
आज उसे बुझाने की रात हैं !
प्यार के इस पल में ,
आज फिर खो जाने की रात हैं !

तुझमें हैं इतना नशा ,
बिन पिए बहेकना आज हैं !
न तुम तुम रहो न हम हम रहे ,
आज एक दूसरे में समाने की रात हैं !

और पास आ ज़रा सनम के ,
कुछ कहेने सुनने की रात हैं !
मायकदे की क्या ज़रूरत ,
तेरा तन ख़ुद शराब का प्याला हैं !

होंठों का रस आज ,
पीने पिलाने की रात हैं !
खोल दो सारे बंधन ,
आज देखने दिखाने की रात हैं !

इस अँधियारे में दीपक सा ,
चमक रहा तेरा तन हैं !
बिजली की नहीं ज़रूरत ,
आज सारे बंधन तोड़ने की रात हैं !

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