Monday 6 May 2019

बस इतना बहोत हैं

ज़िंदगी की राह में चाह बहोत हैं !
सँभल जा बंदे कठिन ये राह बहोत हैं !!

कब तक भटकेगा और की चाह में !
मान ले जो कुछ मिला वो बहोत हैं !!

चाहे मत जा मंदिर , मस्जिद , गुरुद्वार !
मान ले उस परवरदिगार को बस इतना बहोत हैं !!

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