Wednesday 20 January 2016

एक टूटी सी झोपड़ी मेरी , एक टूटा सा ख़्वाब हैं !

एक टूटी सी झोंपड़ी मेरी ,
एक टूटा सा ख़्वाब हैं !
बहे गए अरमान मेरे ,
बिखरा मेरा संसार हैं !
मिलने के कुछ आसार नहीं ,
जीवन में अंधकार हैं !
कोई साथ भी नहीं ,
बस मैं और टूटी सी चारपाई हैं !
कभी ये ख़ुशियों से जगमगाता था ,
आज दुःखों में ये सिमटा हैं !
इस उम्र के पड़ाव में ,
हर मोड़ पर कोई न कोई छूटा हैं !

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