काया तेरी जैसे कोई सुंदर फुलवारी ,
कमर तेरी चलती फिरती आरी !
मरने वाले भी दो पल की मोहलत माँग ले ,
तु इतनी ख़ूब सूरत और प्यारी !
चाल ढाल से तु लगती हैं परी ,
ज़ुबा से हैं पर तु बिलकुल छपरी !
आँखे मटकना कोई तुमसे सिखे ,
बातों हीं बातों में तू चला देती हैं छुरी !
सुंदरता तेरी जैसे जलपरी ,
तु हैं उस क़ुदरत की कलाकारी !
जो भी एक निगाह भर कर देख ले ,
वो हों जाए सदा इस जहाँ से बरी !
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