कविता शायरी नज़्म ,
आप की यादों में लिख लेता हूँ !
तु न आए तो सनम ,
तुझे ग़ज़ल बना देता हूँ !
जब तेरी यादों का दर्द बढ़ जाता हैं ,
तब तुझे चंद नग़मे बना देता हूँ !
गुन गुना लेता हु मैं तुझे रोज़ ,
तभी मुझे चैन आता हैं !
तुही मेरी संगीत तुही मेरी मनमित ,
तुही मेरी आज तुही मेरी अतीत हैं !
कोई पूछता हैं जब तेरे बारे में ,
बस बोल देता हूँ के तु ही मेरा हबीब !
मैं क़लम तु मेरी शायरी हैं ,
तु ही ग़ज़ल तु मेरी नज़्म हैं !
मेरे इस जीवन के पन्ने में ,
तुही मेरी गीत तुही मेरी प्रीत हैं !
मैं जाते जाते इस दुनिया को ,
चंद नग़मे सुना जाऊँगा !
जो सुना न हो किसी ने ,
मैं लिख जाऊँगा वो गीत !
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