Saturday 12 December 2015

कविता शायरी नज़्म आप की यादों में लिख लेता हूँ , तु न आए तो सनम तुझे ग़ज़ल बना देता हूँ !

कविता शायरी नज़्म ,
आप की यादों में लिख लेता हूँ !
तु न आए तो सनम ,
तुझे ग़ज़ल बना देता हूँ !

जब तेरी यादों का दर्द बढ़ जाता हैं ,
तब तुझे चंद नग़मे बना देता हूँ !
गुन गुना लेता हु मैं तुझे रोज़ ,
तभी मुझे चैन आता हैं !

तुही मेरी संगीत तुही मेरी मनमित ,
तुही मेरी आज तुही मेरी अतीत हैं !
कोई पूछता हैं जब तेरे बारे में ,
बस बोल देता हूँ के तु ही मेरा हबीब !

मैं क़लम तु मेरी शायरी हैं ,
तु ही ग़ज़ल तु मेरी नज़्म हैं !
मेरे इस जीवन के पन्ने में ,
तुही मेरी गीत तुही मेरी प्रीत हैं !

मैं जाते जाते इस दुनिया को ,
चंद नग़मे सुना जाऊँगा ! 
जो सुना न हो किसी ने ,
मैं लिख जाऊँगा वो गीत !

No comments:

Post a Comment