Saturday 19 December 2015

कल तक थे जो साथी तेरे आज वहीँ तेरे दुश्मन हैं , आँखे खोल के देख जरा तेरे अपने ही तेरे दुश्मन हैं !

सच्चा बनिए पर न बनिए चुग़ल ख़ोर  ,
एक पैसे के ख़ातिर न फैलाओ झूँठ चहुओर !

सच बोलिए पर न बोलिए कभी झूँठ ,
ईश्वर का अंश हो बनो सच का ज्योत !

साया बनकर प्यार का चमको चहुओर ,
छाया दो रही को न भटकाओ उसे कहीं और !

प्यासे को पानी दो पंछी को दो दाना ,
भटकों को राह दिखा दो न यूँ तुम नींद भर सोना !

राहों में काँटे हैं बहोत ज़रा बच के तुम चलना ,
आने वाला हैं तूफान बड़ा जरा डट के तुम रहेना !

कल तक थे जो साथी तेरे आज वहीँ तेरे दुश्मन हैं ,
आँखे खोल के देख जरा तेरे अपने ही तेरे दुश्मन हैं !

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