Sunday 13 December 2015

गोरी तेरे गालों का ये तिल ,

गोरी तेरे गालों का ये तिल ,
लगता हैं जैसे ये हैं मेरा दिल !
जैसे चमकता हैं चाँद आसमान में ,
वैसे ही खिलता हैं यें आपके चेहरे पर !

जितना मैं देखूँ जी भर कर ,
उतना ही ये ज़ुल्म ढाता हैं  !
तेरे गालों पर ये चार चाँद लगाकर ,
हमें बहोत हीं तरसाता हैं !

तेरी ख़ूब सुरती का ये राज हैं ,
बुरी नज़र का ये इलाज हैं !
सच कहूँ तो ये आपके मुख पर ,
मेरे प्यार का ये पैग़ाम हैं !

रातों को गिरती शबनम सा हैं ,
खुला आसमान में तारों सा हैं !
जैसे खिलता हैं फूल बाग़ में ,
वैसे ही ये खिलता हैं आपके मुख पर !

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