इतना न इठलाया करों ,
थोड़ा सम्भल कर चला करों !
ज़माना बड़ा ख़राब ,
इतना न पास आया करों !
न आओ इतना पास मेरे ,
के अरमान जाग जाएँगे !
उमड़ रहे हैं उमंग अभी ,
ये रोम रोम जाग जाएँगे !
गर जाग गए नस नस तो ,
बड़ी तुझे परेशानी होगी !
इस ठंड के मौसम में ,
तु ही मेरी रज़ाई होगी !
तेरे होंठों ने प्यास जगाकर ,
मेरे दिल में घर बसाया !
मेरे इन अरमानो को ,
तेरे हुस्न ने राह दिखाया
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