मैं आइना हु सच का ,
चेहरे में छुपा चेहरा दिखला जाऊँगा !
मैं टूटकर भी हर टुकड़े में ,
सुरत तेरी दिखला जाऊँगा !
दिल में छुपा जो अँधियारा ,
उसे निकाल ही जाऊँगा !
मैं मरते मरते भी सनम,
तेरा ही नाम लेकर जाऊँगा !
मैं धड़कन हु तेरे शरीर का ,
तेरे साथ ही मैं धड़क जाऊँगा !
कल मरने के बाद भी ,
तेरे दिल में धड़कता जाऊँगा !
मैं रौशन हु अँधियारे का ,
रौशनी फैला ही जाऊँगा !
समुन्दर हूँ मैं इश्क़ का ,
तुझे प्यार करना सिखला जाऊँगा !
मैं फूल हूँ तेरे गलियारे का ,
तेरा रास्ता महेका ही जाऊँगा !
मैं तेरे बाद भी सनम ,
तेरी अर्थी पर बिखर जाऊँगा !
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