Wednesday 23 December 2015

इस रात की कभी सुबह ना हो

इस रात की कभी सुबह ना हो ,
इस प्यार का कभी अंत ना हो !
यूँही हँसते गाते बीते सारी ज़िंदगानी ,
राहों में कभी कोई काँटे न हो !

रातों को जागना आपने सिखाया ,
इन तारों को चमकना आपने सिखाया !
ये मौसम कभी न था इतना नशीली ,
इस मौसम को बहेकना आपने सिखाया !

तेरे हुस्न पर मिट चला हूँ ,
ज़रा होंठों को अपने खोल दो !
अंतिम साँसें गिन रहा हूँ ,
इन आँखो से कुछ बोल दो !

तेरे हुस्न पर मैं यूँही लूटता रहूँगा ,
मैं तेरे लिए रोज़ थोड़ा थोड़ा मरता रहूँगा !
कभी न आँसू गिरने पाए तेरी आँखो से ,
बस इसीलिए मैं पूरी उम्र हँसता रहूँगा !

No comments:

Post a Comment