Thursday 24 December 2015

प्यार की राह

बहेक चुका था मैं तो कब का ,
तेरी ज़ुल्फ़ों ने मुझको सँवारा हैं !
इस बे दर्द ज़माने में 
बस तेरा ही मुझको सहारा हैं !

तेरी इस मुस्कान ने सनम ,
मुझको अब तक राह दिखाया !
वरना इस ज़माने ने ,
मुझको बहोत भटकाया !

इस प्यार की राह से ,
मैं तो अब तक अंजान था !
भटक रहा था मैं तो गलियों में ,
सम्भला जब साथ मिला तुम्हारा ,

तेरी बाहों ने मुझको सँवारा ,
तेरे होंठों ने मुझको निखारा !
इस प्यार के समंदर में ,
अब तूही मेरा किनारा !

एक पल के लिए भी ,
जों आँखो से तु ओझल हुई !
दिल ये तब तब डरता रहा ,
कहीं तुम मुझसे जुदा नहीं हुई !

यूँही साथ देना तुम हमारा ,
कभी न होना मुझसे जुदा !
अब के बिछड़ गई तो ,
फिर इस दुनिया में न मिलेंगे दोबारा !



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