एक दोस्त कल खाने पे आया
मेरी पत्नी ने खाना लगाया
कहिसे मेरा बच्चा आया
और खाना सारा गिराया
मैंने भी न आव देखा न ताव
बस बच्चे को मैंने दी चमात
और ग़ुस्से में बोला
अबे नालायक की औलाद
दोस्त बोला ग़ुस्सा नहीं करते
ये हैं तो तेरे हीं बच्चे
लगता हैं ये अकेला हैं
इसे भी एक दोस्त चाहिए
मैंने ये सुनकर उससे बोला
कल से मैं एक और की तैयारी करता हु
उतने में पत्नी अंदर से बोली अब ये हो नहीं सकता
मैं तेरे भरोसे रहेती तो ये भी नहीं होता !
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