मेरे ख़यालों के किताबों में ,
हर पन्ने पे हैं ज़िक्र तेरा !
मेरे क़लम की मंज़िल हैं तु ,
और कोई नहीं पन्ना मेरा !
तेरी चाहत का मुझे पता नहीं ,
मेरी तो बस यहीं चाहत हैं !
बसकर तेरे आँखो में ,
तेरे पालकों से बनकर आँसू बहु !
मेरे यादों में अतीत में ,
हैं तेरा ही एक चेहरा !
और कोई साथ नहीं ,
बस तेरी यादों का बसेरा !
मैं सागर तुम किनारा हों ,
मैं धूप तुम साया हों !
मेरे इस अँधियारे जीवन में ,
तुम ही मेरी उजियारा हो !
तु मिल गई तो ज़िंदगी मिल गई ,
अब बस मेरी इतनी सी चाहत हैं !
हो बाहों का घेरा तेरा ,
जब मेरी आख़री साँस हों !
आपकी जो भी मंज़िल हों ,
अपनी तो मंज़िल हैं तु !
चाहत हैं तुझपे लूट जाना ,
बस मेरी आख़री ख़्वाहिश हो तुम !
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