बेवफ़ाई प्यार तक तो ठीक हैं ,
पर यार भी बेवफ़ा हों गया !
आज इस महफ़िल में ,
सब की आँखों में मैं चुभ गया !
इस महेफ़िल में मुझको ,
पता नहीं अब कौन हैं अपना !
जिसे भी देखो आज वही ,
चेहरे पर हैं एक चेहरा पहेना !
चेहरे पर पड़े इस चेहरे को ,
अब हम पहेचाने कैसे !
पड़ा ये '' ओमकर '' दुविधा में ,
अपनो को पहचाने कैसे !
फिर भी साथ उसके जिए जा रहा हूँ !
पता नहीं कहा है मेरी मंज़िल ,
फिर भी सफ़र ये तय किए जा रहा हूँ !
No comments:
Post a Comment