Saturday 12 December 2015

बेवफ़ाई

बेवफ़ाई प्यार तक तो ठीक हैं ,
पर यार भी बेवफ़ा हों गया !
आज इस महफ़िल में ,
सब की आँखों में मैं चुभ गया !

इस महेफ़िल में मुझको ,
पता नहीं अब कौन हैं अपना !
जिसे भी देखो आज वही ,
चेहरे पर हैं एक चेहरा पहेना !

चेहरे पर पड़े इस चेहरे को ,
अब हम पहेचाने कैसे !
पड़ा ये '' ओमकर '' दुविधा में ,
अपनो को पहचाने कैसे !

ज़िंदगी एक हसीन बेवफ़ा हैं ,
फिर भी साथ उसके जिए जा रहा हूँ !
पता नहीं कहा है मेरी मंज़िल ,
फिर भी सफ़र ये तय किए जा रहा हूँ !

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