माना के तु मुझसे दूर सही ,
मेरे प्यार से तु अंजान सही !
गर प्यार ये अपना सच्चा हैं ,
तो अपना मिलना पक्का हैं !
माना तु मुझसे बेख़बर सही ,
पर तेरी मोहब्बत से हम बेख़बर नहीं !
होंठ कुछ ना बोले तो ही सही ,
पर तेरी आँखो की भाषा से हम अंजान नहीं !
पीकर आँसुओं के घुट रहेता हूँ !
ख़ुशी का अब कोई मौसम नहीं ,
मैं रोज़ तेरे लिए तिल तिल मरता हूँ !
तुन न आइ तो तेरी यादें ही आ गई ,
बनकर काली घटा तु मुझपर छा गई !
बड़ा हीं बेदर्द था वो समय ,
जिस पल तु मुझे छोड़कर आ गई !
समय तब बड़ा बेतुका था ,
पाँवों में रस्मों रिवाजों का ज़ंजीर था !
हर क़दम पर मेरे थी एक खाई ,
तु ही बता अब सनम मैं नहीं हरजाई !
कोई थोड़ा तो कोई ज़्यादा हैं ,
कभी जाम ख़ाली तो कभी भरा होता हैं !
रही होंगी उनकी भी कुछ मजबूरियाँ ,
वरना यूँही कोई बेवफ़ा नहीं होता !
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