Sunday 13 December 2015

सुना हैं तुम हमें अब जानती ही नहीं

सुना हैं तुम हमें अब जानती ही नहीं ,
मेरे प्यार को तुम मानती हीं नहीं !
प्यार किया इस्तेमाल किया ,
और अब कहेती हों हमें पहेचानती हीं नहीं !

चलो माना गुज़ार दोगी ए जन्दगी मेरे बिन ,
पर वो मेरा प्यार कहा पाओगी !
अगर हम हुवे बर्बाद सनम ,
तो सोचलो तुम भी चैन कहा पाओगी !

तड़प उठोगी मेरे बिन तुम हर रातों को ,
दिन में भी तुम कहीं चैन नहीं पाओगी !
मेरे बिन जीना हों जाएगा दुशवार तेरा ,
हर जगह बस तुम मुझे ही पाओगी !

मेरे जीने की तु आख़री ख़्वाहिश हैं ,
मेरे हर रोम रोम में तु हीं समाई हैं  !
तेरी जो भी मंज़िल हों ,
मेरी तो बस तूही आख़री मंज़िल हैं !

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