Tuesday 22 December 2015

क़ानून और महिलाएँ

         डरी डरी हैं आज महिलाएँ सारी ,

       बड़े गमगीन आज माँ बाप भाई सारे !

      इस दुनियाँ में दुष्कर्मी को पहेचाने कैसे ,

      हम अपनी बहूँ बेटियों को बचाए कैसे !

   आज बेटियों के जन्म पर हर माँ बाप रोते है !

बेटियाँ घर से निकले कैसे हर गली में बलत्कारी हैं !

गली की तो बात छोड़ो यहाँ तो बाप भाई भी दुष्कर्मी हैं ,

हम इंसाफ़ माँगने जाए कहाँ उनका तो रखवाला ही क़ानून हैं  !



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