डरी डरी हैं आज महिलाएँ सारी ,
बड़े गमगीन आज माँ बाप भाई सारे !
इस दुनियाँ में दुष्कर्मी को पहेचाने कैसे ,
हम अपनी बहूँ बेटियों को बचाए कैसे !
आज बेटियों के जन्म पर हर माँ बाप रोते है !
बेटियाँ घर से निकले कैसे हर गली में बलत्कारी हैं !
गली की तो बात छोड़ो यहाँ तो बाप भाई भी दुष्कर्मी हैं ,
हम इंसाफ़ माँगने जाए कहाँ उनका तो रखवाला ही क़ानून हैं !
No comments:
Post a Comment