Monday 21 December 2015

जो हिंदू पिघल गया मुल्लों की माफ़ी से , वो कल कहाँ था जब भगतसिंह चढ़े थे फाँसी पे !

जो हिंदू पिघल गया ,
मुल्लों की माफ़ी से !
वो कल कहाँ था ,
जब भगतसिंह चढ़े थे फाँसी पे !
जिस हिंदू को सिख नहीं मिली ,
वो वीर रानी लक्ष्मी बाई से ,
वो क्यों आज आज़ादी खोजता ,
इन भ्रष्ट नेताओ में !
जिसका ख़ून खौला था सुनकर ,
वीर छत्रपति शिवाजी के वाड़ी पे !
वो आज हिजड़ा बनकर बैठा हैं ,
अपने हीं माँ बहेनो के लूटती लाज पे !
जिनके बाप दादा लूट गए ,
देश को बचाने में !
उन्ही के नाती पोते आज ,
बिक रहें चंद पैसों व सिक्कों पे !
आज बड़ा हीं बुरा देश का हाल हैं ,
जहा देखो वहाँ चोरो  का ही राज हैं !

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