Monday 28 December 2015

साथ फ़ेस्बुक और दोस्तों का

दिल को छुवा तो उनकी याद आइ ,
पलकें बंद करूँ तो तस्वीर नज़र आइ !
आँखे खोल के जब फ़ेस्बुक देखा तो ,
तुम दोस्तों की बड़ी याद आइ !

बीत रहा ये साल कुछ तू तू मैं मैं में ,
ये सोचकर मैंने चाय को मुँह से लगाकर !
जब एक घुट लगाई तो ,
फ़ेस्बुक के सारे दोस्तों की याद आइ !

बीच में थोड़ा मैं कहीं भटक गया था ,
मैं तुम दोस्तों से दूर चला गया था !
पर जब दोस्त मुकेश ने आवाज़ लगाई ,
सच बोलूँ तो तब मुझे फिर होश आया !

मुकेश मेहता बोलो या किरण कीर्ति बोलो ,
पवन बोलो या सोनम प्रसाद बोलो !
जब जब ख़ुद को अकेला पाया तो ,
सारे दोस्तों की टोली मेरे साथ नज़र आइ !

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