Sunday 13 December 2015

हम तरसते हैं जिनके लिए वो तरसते हैं किसी और के लिए , ख़ुदा करे उनको उनकी मंज़िल मिले और हम यूँही तरसे उनके लिए !

हम तरसते हैं जिनके लिए ,
वो तरसते हैं किसी और के लिए !
ख़ुदा करे उनको उनकी मंज़िल मिले ,
और हम यूँही तरसे उनके लिए !

उनकी तमन्ना ख़ुदा तू हर हाल में पूरा कर ,
फिर चाहें तू मुझपर कितना भी ज़ुल्म कर !
कभी न मैं उफ़ तक करूँगा ,
बस तू उनका दामन सदा ख़ुशियों से भर !

तू चाहे जहाँ भी रहे ,
तेरा जहाँ सदा आबाद रहे !
मेरा सब कुछ हैं तुझपर अर्पण ,
फिर क्यूँ न हम सदा यूँही बर्बाद रहे !

मुझसे तू न मिलना चाहे तो कोई बात नहीं ,
मेरी अर्थी पर कल तू मिलने आज़ाना !
हम तो राही हैं सफ़र के ,
चाहें तो हाथ बटाने तू आजना !

न आँसू बहाना दिखावे का ,
बस इतना ही करम तुम हमपर कर जाना !
मेरी अर्थी निकले तो बस तुम ,
अपना शीश ज़रा झुका देना !

बड़ी वफ़ा निभाई जीते जी तुमने ,
मरने पर भी वफ़ा निभा जाना !
अपनी बेवफ़ाई पर तुम ,
हमपर ही तोहमत लगा जाना !

मैं जलूँगा शमशान में ,
तुम बाँहों में उनके जल जाना !
जन्नत रशिद होगी तुमको ,
यूँही बाँहों में सबके तुम झूल जाना !

करना दिन रात मज़ा तुम ,
हमें न फिर तुम याद करना !
जीते जी सताया मुझको !
मरने के बाद यूँ न हमें तुम सताया करना !

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